आज उर्दू ग़ज़ल पर वापस आते हैं,,यूँ तो ग़ज़ल, ग़ज़ल है चाहे वह किसी भी भाषा में हो
क्योंकि उस का आधार तो भावनाएं हैं , जज़्बात हैं
और इन्हें ज़ुबान के बदल जाने से
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
ग़ज़ल
________
शफ़क़त* निसार* की है ,निगाहों ने उम्र भर
महफ़ूज़* रक्खा माँ की दुआओं ने उम्र भर
__________
थीं मेरे पास अपनों की सारी मुहब्बतें
फिर भी दिया है साथ परायों ने उम्र भर
___________
शायद मिले सुकून अजल* की पनाह में
लेने दिया न चैन ख़ताओं * ने उम्र भर
___________
मज़हब के नाम पर जहाँ तलवार खिंच गई
नादिम* किया है ऐसी सभाओं ने उम्र भर
___________
चाहा मगर न दिल से वो एह्सास मिट सका
ज़ख़्मी किया शिकस्त* के लम्हों ने उम्र भर
___________
ठोकर जो खाई फिर न क़दम रख सके ’शेफ़ा’
यूँ तो सदाएं दीं तेरी राहों ने उम्र भर
_________________________________________
शफ़क़त= वात्सल्य,स्नेह ,,,,,, निसार= न्योछावर,,,,,
महफ़ूज़= सुरक्षित,,,,,,अजल= मौत,,,,,,
ख़ताओं= ग़ल्तियों,,,,,,नादिम= शर्मिंदा, लज्जित,,,,,,
शिकस्त= हार, पराजय
क्योंकि उस का आधार तो भावनाएं हैं , जज़्बात हैं
और इन्हें ज़ुबान के बदल जाने से
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
ग़ज़ल
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शफ़क़त* निसार* की है ,निगाहों ने उम्र भर
महफ़ूज़* रक्खा माँ की दुआओं ने उम्र भर
__________
थीं मेरे पास अपनों की सारी मुहब्बतें
फिर भी दिया है साथ परायों ने उम्र भर
___________
शायद मिले सुकून अजल* की पनाह में
लेने दिया न चैन ख़ताओं * ने उम्र भर
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मज़हब के नाम पर जहाँ तलवार खिंच गई
नादिम* किया है ऐसी सभाओं ने उम्र भर
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चाहा मगर न दिल से वो एह्सास मिट सका
ज़ख़्मी किया शिकस्त* के लम्हों ने उम्र भर
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ठोकर जो खाई फिर न क़दम रख सके ’शेफ़ा’
यूँ तो सदाएं दीं तेरी राहों ने उम्र भर
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शफ़क़त= वात्सल्य,स्नेह ,,,,,, निसार= न्योछावर,,,,,
महफ़ूज़= सुरक्षित,,,,,,अजल= मौत,,,,,,
ख़ताओं= ग़ल्तियों,,,,,,नादिम= शर्मिंदा, लज्जित,,,,,,
शिकस्त= हार, पराजय
थीं मेरे पास अपनों की सारी मुहब्बतें
जवाब देंहटाएंफिर भी दिया है साथ परायों ने उम्र भर....
बहुत गहरी बात … सत्यवचन ….
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंशुक्रिया अपर्णा ,, ख़ुश रहो
हटाएं'फिर भी दिया है साथ परायों ने उम्र भर'
जवाब देंहटाएंजीवन ऐसा ही है!
बहुत सुन्दर सारगर्भित प्रस्तुति!
धन्यवाद अनुपमा जी
हटाएंग़ज़ल का हर शेर लाजवाब , मां की दुवाओं का सर तो जा जिंदगी रहता है.
जवाब देंहटाएंहाँ आशीष सही कहा
हटाएंमज़हब के नाम पर जहाँ तलवार खिंच गई
जवाब देंहटाएंनादिम* किया है ऐसी सभाओं ने उम्र भर
लाजवाब ग़ज़ल कही है इस्मत वाह !!!! हर शेर नगीना है .ढेरों दाद कबूल करो .
नीरज
बहुत बहुत शुक्रिया नीरज भैया
हटाएंचाहा, मगर न दिल से वो एह्सास मिट सका
जवाब देंहटाएंज़ख़्मी किया शिकस्त के लम्हों ने उम्र भर
बहुत खूबसूरत और उम्दा शेर ...
एक अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !!
शुक्र्गुज़ार हूँ जनाब
हटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंशायद मिले सुकून अजल की पनाह में
लेने दिया न चैन ख़ताओ ने उम्र भर..
बहुत सुन्दर ग़ज़ल.....
सादर
अनु
बहुत बहुत शुक्रिया अनु
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंथीं मेरे पास अपनों की सारी मुहब्बतें
फिर भी दिया है साथ परायों ने उम्र भर
बहुत सुन्दर ग़ज़ल.....
शुक्रिया अशोक जी
हटाएंमज़हब के नाम पर जहाँ तलवार खिंच गई
जवाब देंहटाएंनादिम* किया है ऐसी सभाओं ने उम्र भर
बेहद खूबसूरत ..
बधाई !
बहुत बहुत शुक्रिया सतीश जी
हटाएंवाह ..खाबूसरत मतला और उसके बाद ये शेर सवा लाख का
जवाब देंहटाएंशायद मिले सुकून अजल की पनाह में
लेने दिया न चैन ख़ताओं ने उम्र भर
मेरी तरफ से ढेर सारी दाद कबूल कीजिये|
शुक्रिया बेटा ख़ुश रहिये
हटाएंचाहा मगर न दिल से वो एह्सास मिट सका
जवाब देंहटाएंज़ख़्मी किया शिकस्त* के लम्हों ने उम्र भर
___________
ठोकर जो खाई फिर न क़दम रख सके ’शेफ़ा’
यूँ तो सदाएं दीं तेरी राहों ने उम्र भर
वाह शेफाजी कमाल की गज़ल लिखी है ।
बहुत शुक्र्गुज़ार हूं आशा जी
हटाएंज़ैदी साहब :)
जवाब देंहटाएंयूं तो सभी शे’र दाद के हक़दार हैं, लेकिन मेरी निगाहें तो घूम-फिर के यहीं अटक रही हैं-
ठोकर जो खाई फिर न क़दम रख सके ’शेफ़ा’
यूँ तो सदाएं दीं तेरी राहों ने उम्र भर
वाह..वाह..वाह
गज़ल सीधी दिल में उतर जाती है ....
जवाब देंहटाएंशफ़क़त* निसार* की है ,निगाहों ने उम्र भर
महफ़ूज़* रक्खा माँ की दुआओं ने उम्र भर ..
इस शेर की खास जगह बन जाती है अपने आप ही दिल में ...
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ...
चाहा मगर न दिल से वो एह्सास मिट सका
ज़ख़्मी किया शिकस्त के लम्हों ने उम्र भर
बहुत बड़ी सच्चाई है...
आदरणीया दीदी इस्मत ज़ैदी जी
पूरी ग़ज़ल पुरअसर है...
मुबारकबाद !
पिछली कई न पढ़ी हुई तमाम पोस्ट्स अभी पढी...
सब हिंदी-उर्दू ग़ज़लों के लिए साधुवाद ! आभार !
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
-राजेन्द्र स्वर्णकार
इस्मत जी , बहुत ही अच्छी ग़ज़ल .
जवाब देंहटाएंचाहा मगर न दिल से वो एह्सास मिट सका
ज़ख़्मी किया शिकस्त* के लम्हों ने उम्र भर
इस शेर ने दिल पर कहर ढा दिया !
दिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com
मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com