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सोमवार, 21 दिसंबर 2009

ग़ज़ल
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क्या कहूं कि क्या  बयां पहले हुआ
कुछ यहाँ और कुछ वहां पहले हुआ

मैं ने यकजहती की इक  कोशिश ही की
मेरा साथी बदगुमां पहले हुआ

थी सई जज़्बात पर क़ाबू रहे
पर वो आँखों से रवां पहले हुआ

दुश्मनों से क्या शिकायत हो अगर
दोस्त ही शोला बयां पहले हुआ

अब तो जन्नत दूर मुझ से हो गयी
"क्यों न एहसासे ज़ियाँ पहले हुआ "

जो छिपाना चाहता था उस से मैं
राज़ उस पर ही अयाँ पहले हुआ

मुल्क टुकड़ों में बँटा जाता है ये
ज़ख्म का दरमाँ कहाँ पहले हुआ ?

खौफ़ का माहौल हर सू है 'शेफ़ा'
हाथ में तीर ओ कमां पहले हुआ
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यकजहती=एकता , सई =कोशिश ,शोलाबयाँ =नाराज़
ज़ियाँ =हानि, अयाँ =प्रकट ,दरमाँ =इलाज
खौफ़ =डर