एक अरसे के बाद ग़ज़ल की शक्ल में कुछ टूटे फूटे अल्फ़ाज़ और ख़यालात के साथ हाज़िर हूँ
............. लौट भी आओ सफ़र से
***********************************
ख़बर भेजो कभी तो नामाबर से
यही हैं राब्ते अब मुख़्तसर से
यही हैं राब्ते अब मुख़्तसर से
*
बहुत दुश्वार है सहरा नविरदी
बस अब तुम लौट भी आओ सफ़र से
*
निशने पर हूँ मैं हर सम्त से ही
इधर से तीर और ख़ंजर उधर से
इधर से तीर और ख़ंजर उधर से
*
पराया कर दिया लहजे ने तेरे
मैं फिर गुज़रा नहीं उस रहगुज़र से
*
हमारे हौसले पतवार बन कर
बचा लाए सफ़ीने को भँवर से
बचा लाए सफ़ीने को भँवर से
*
तुम्हारी बेक़रारी कह रही है
कभी बिछड़े नहीं थे अपने घर से
कभी बिछड़े नहीं थे अपने घर से
**************************************
नामाबर= संदेश वाहक; मुख़्तसर= छोटा ; दुश्वार= कठिन;
सहरा नविरदी = यायावरी ; सम्त= ओर ; रहगुज़र= रास्ता ;
सफ़ीना= नैया ; बेक़रारी = बेचैनी
बहुत बहुत शुक्रिया य़शोदा जी
जवाब देंहटाएंख़बर भेजो कभी तो नामाबर से
जवाब देंहटाएंयही हैं राब्ते अब मुख़्तसर से
वाह बहुत खूब
शुक्रिया वंदना जी
हटाएंनिशाने पर हूँ मैं हर सम्त से ही
जवाब देंहटाएंइधर से तीर और ख़ंजर उधर से...
कमाल का शेर है ये. ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी.
बहुत बहुत शुक्रिया निहार जी
हटाएंपराया कर दिया लहजे ने तेरे
जवाब देंहटाएंमैं फिर गुज़रा नहीं उस रहगुज़र से
bahut umda...
पराया कर दिया लहजे ने तेरे
जवाब देंहटाएंमैं फिर गुज़रा नहीं उस रहगुज़र से ...
वाह ... बहुत ही कमाल का शेर है इस ग़ज़ल का ... ऐसा अक्सर होता है हकीकत में ...
पराया कर दिया लहजे ने तेरे
जवाब देंहटाएंमैं फिर गुज़ारा नहीं उस रहगुज़र से...
क्या बात है.. तुम्हारी लम्बी अनुपस्थिति तकलीफदेह है।
ग़ज़ल से गुफ्तगू करते हुए अच्छे शेर पढ़कर बहुत भला लगा ..... लफ्ज़, बेशक थोड़े हैं,, लेकिन बात मुकम्मल कही है ..... मुबारकबाद .
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
जवाब देंहटाएंख़बर भेजो कभी तो नामाबर से
जवाब देंहटाएंयही हैं राब्ते अब मुख़्तसर से
....क्या बात है बहुत खूब
जवाब देंहटाएंनिशने पर हूँ मैं हर सम्त से ही
इधर से तीर और ख़ंजर उधर से
क्या बात है ... बहुत खूब
पराया कर दिया लहजे ने तेरे
जवाब देंहटाएंमैं फिर गुज़रा नहीं उस रहगुज़र से....
हर शेर बेहतरीन....वाह वाह
फ़ेसबुक की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में ब्लॉगिंग का सुकुन भरा माहौल अलग ही आनन्द देता है. इसे बढ़ावा देने की ज़रूरत है.
आपका ख्याल दुरुस्त है इस हालत से हम भी गुजर रहें हैं
हटाएंनिशने पर हूँ मैं हर सम्त से ही
जवाब देंहटाएंइधर से तीर और ख़ंजर उधर से
हमारे हौसले पतवार बन कर
बचा लाए सफ़ीने को भँवर से
bahut khoob sher hue hain, mubarak ho.
खूबसूरत ग़ज़ल , मुबारक हो
जवाब देंहटाएं