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गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

इस बार कुछ क़िता’त पेश ए ख़िदमत हैं

क़िता’त
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झूट पर झूट है, अय्यारी है, मक्कारी है
और हक़ीक़त ये बताती है सितम जारी है
कितने मासूम हैं गोदी में अजल की सोए
हाकिम ए शह्र का कहना है अदाकारी है

***
ख़ुदा की है अताकरदा वो क़ूवत बेज़बानों में
कि जो हलचल मचा सकती है ज़ालिम हुक्मरानों में
उठो अब मुत्तहिद हो कर इन्हें समझो वगरना फिर
कहीं गुम हो के रह जाओगे तुम इन दास्तानों में
***
क़दरें बदल गई हैं ,ज़माना बदल गया
इंसानियत का आज तराना बदल गया
तिफ़्लान ए दौर के भी रुख़ों पर है बेबसी
मासूमियत का ठौर-ठिकाना बदल गया
***
क्या रोक पातीं उस को सुनहरी ये तीलियाँ
पर्वत प हौसलों के जो आबाद हो गया
करता रहा मैं क़ैद ओ क़फ़स पर ही तब्सेरे
वो तीलियों को तोड़ के आज़ाद हो गया
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अय्यारी= मक्कारी का पर्याय ; अजल= मौत ; अताकरदा= दी हुई; 
मुत्तहिद= एक हो कर (unite) ; क़दरें= मूल्य (values) ; 
तिफ़्लान ए दौर = आज के बच्चे ; क़फ़स= पिंजरा , जेल ;
तब्सेरे= टिप्पणी

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब....। पहले को छोड़कर बाकी सभी बेहतरीन लगा। पहले में 'पर' के प्रयोग ने उलझा दिया।

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  2. धन्यवाद देवेन्द्र जी वहाँ पर नहीं है बल्कि और है ,,अभी एडिट करती हूँ
    दुबारा शुक्रिया

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  3. करता रहा मैं क़ैद ओ क़फ़स पर ही तब्सेरे
    वो तीलियों को तोड़ के आज़ाद हो गया.............
    वाह बहुत खूब दी !!
    सादर
    अनु

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  4. वाह !!
    मासूमियत का ठौर-ठिकाना बदल गया
    बेहद सुंदर

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  5. क़दरें बदल गई हैं ,ज़माना बदल गया
    इंसानियत का आज तराना बदल गया
    तिफ़्लान ए दौर के भी रुख़ों पर है बेबसी
    मासूमियत का ठौर-ठिकाना बदल गया....waah.chand panktiyon mein aapne vaastav bayan kar diya

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  6. मासूमियत का ठोर ठिकाना बदल गया ...
    बहुत ही लाजवाब ... हर बार मुंह से वाह वाह निकल गया ...
    आपको नव वर्ष की मंगल कामनाएं ...

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  7. वो तीलियों को तोड़ के आज़ाद हो गया.............
    ...............बहुत खूब

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ख़ैरख़्वाहों के मुख़्लिस मशवरों का हमेशा इस्तक़्बाल है
शुक्रिया