आज फिर एक हिंदी ग़ज़ल के साथ आप के समक्ष हूँ
ग़ज़ल
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छोटी सी ही आस बहुत है
थोड़ा सा उल्लास बहुत है
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तेरे साथ जो पल-छिन बीते
उन का बस आभास बहुत है
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उस ने नाता तोड़ लिया पर
अब भी, मन के पास बहुत है
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मैं ख़ुद डाँवाडोल हूँ लेकिन
साथी पर विश्वास बहुत है
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वाणी में कोमलता है पर
आँखों में उपहास बहुत है
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वर्षों पहले जो बीता था
सीखें , तो इतिहास बहुत है
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सुविधाओं की गोद में बैठे
कहते हैं , ’संत्रास बहुत है’
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दुख में भी मुस्काते रहना
हम को ये अभ्यास बहुत है
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दुख में भी मुस्काते रहना
जवाब देंहटाएंहम को ये अभ्यास बहुत है
संवेदनशील अभिव्यक्ति इस्मत जी ....बहुत सुंदर ....!!
मैं ख़ुद डाँवाडोल हूँ लेकिन
जवाब देंहटाएंसाथी पर विश्वास बहुत है
...वाह! बहुत उम्दा भावपूर्ण ग़ज़ल...
वाणी में कोमलता है पर
जवाब देंहटाएंआँखों में उपहास बहुत है
वा वाह , वा वाह . . .
जबर्दस्त है दी , हर एक शेर माशाल्लाह .आई मीन चौचक
जवाब देंहटाएंवाह …सुविधाओं की गोद में बैठे
जवाब देंहटाएंकहते हैं , ’संत्रास बहुत है’… यथार्थ।
जवाब देंहटाएंछोटी सी ही आस बहुत है
थोड़ा सा उल्लास बहुत है
इस्मत, आज जब पूरी दुनिया में नकारात्मकता बढ रही है, ऐसे में तुम्हारी ये ग़ज़ल उत्साह और विश्वास की फुहार सी हैं....बहुत प्यारी ग़ज़ल है इस्मत. कई बार पढने के बाद भी मन नहीं भरा...
मैं ख़ुद डाँवाडोल हूँ लेकिन
साथी पर विश्वास बहुत है
क्या बात.............
वाणी में कोमलता है पर
जवाब देंहटाएंआँखों में उपहास बहुत है
JIYO BEHNA JIYO....IS KHOOBSURAT GHAZAL KI JITNI TARIIF KII JAY KAM HAI...LAJAWAB...WAAH.
मैं ख़ुद डाँवाडोल हूँ लेकिन
जवाब देंहटाएंसाथी पर विश्वास बहुत है
बहुत खूब !
नई पोस्ट तुम
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंआप सभी सम्मानित मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंउस ने नाता तोड़ लिया पर
जवाब देंहटाएंअब भी, मन के पास बहुत है ..
बस यही एक बात है जो जीवन को प्रेरित करती है ... खोने के बाद भी बहुत कुछ रह जाता है ... लाजवाब शेरों से सजी गज़ल ...
बेहद खूबसूरत गजल
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति.सुन्दर रचना .
सुविधाओं की गोद में बैठे
जवाब देंहटाएंकहते हैं , ’संत्रास बहुत है’
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दुख में भी मुस्काते रहना
हम को ये अभ्यास बहुत है
आपकी कलम को प्रणाम !!