आज ९ अक्तूबर है मेरे ब्लॉग की तीसरी सालगिरह ,
तो मैंने सोचा कि अपनी वो ग़ज़ल पोस्ट करूँ जो मुझे
बेहद पसंद है
आज आप सब दोस्तों ,सलाहकारों, टिप्पणीकारों
और हर उस व्यक्ति का आभार प्रकट
करना चाहती हूँ जिस ने मेरे ब्लॉग को पढ़ा l
ये आप के ही उत्साहवर्धन से संभव हो सका
वर्ना तो शायद ये तीसरी सालगिरह कभी न आ पाती
मैं उन सभी लोगों का भी शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ
जो मेरे प्रेरणा स्रोत रहे हैं जिन में मेरे
उस्ताद, परिवारजन और मित्रगण शामिल हैं
ख़ास तौर पर अपनी अभिन्न मित्र
वंदना अवस्थी दुबे का
अत: ये ग़ज़ल वंदना को समर्पित है
ग़ज़ल
*********
यूँ तो मैं दर्द के सहरा से गुज़र जाऊँगा
पर तेरी आँख हुई नम तो बिखर जाऊँगा
*****
तुम ने वादों की जो ज़ंजीर पिन्हाई थी मुझे
इक कड़ी भी कहीं टूटेगी तो मर जाऊँगा
*****
वक़्त ए रुख़्सत इसी उम्मीद पे देखा सब को
बढ़ के रोके कोई अपना तो ठहर जाऊँगा
*****
देखो कहना न किसी से कि वफ़ादार हूँ मैं
लोग दीवाना कहेंगे मैं जिधर जाऊँगा
*****
मेरा बिखरा हुआ हर लम्हा तेरी आस में है
तू अगर मुझ को संवारे तो संवर जाऊँगा
*****
सुब्ह को आज भी ये सोच के निकला था वो
आस के जुगनू लिये शाम को घर जाऊँगा
*****
वो जो आ जाए ’शेफ़ा’ मुझ को सहारा देने
मैं तमन्नाओं की कश्ती से उतर जाऊँगा
***********************************
मेरा बिखरा हुआ हर लम्हा तेरी आस में है
जवाब देंहटाएंतू अगर मुझ को संवारे तो संवर जाऊँगा
*****
सुब्ह को आज भी ये सोच के निकला था वो
आस के जुगनू लिये शाम को घर जाऊँगा
नि:शब्द करती पंक्तियां
ब्लॉग की तीसरी सालगिरह बहुत-बहुत मुबारक़ हो ...
सादर
सदा जी आप की पहली टिप्पणी मिली मुझे बहुत अच्छा लगा
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया !!!
जी आपको ब्लाग सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो..
जवाब देंहटाएंदेखो कहना न किसी से कि वफ़ादार हूँ मैं
लोग दीवाना कहेंगे मैं जिधर जाऊँगा
बहुत सुंदर
बहुत बहुत शुक्रिया महेंद्र जी
हटाएंसालगिरह मुबारक इस्मत दी...
जवाब देंहटाएंयूँ ही गज़लें गुनगुनाते तीन से तीस बरस हो जाएँ.....
आपकी लिखी खूबसूरत ग़ज़लों को पढते पढते काश हम भी शायर हो जाएँ ..
सादर
अनु
बहुत बहुत शुक्रिया अनु
हटाएंहमेशा ख़ूब ख़ुश रहिये और ख़ूब कामयाबी हासिल कीजिये
तीन वर्ष होने की बहुत बहुत बधाई, सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रवीण जी
हटाएंबधाई....बहुत सुन्दर गजल !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अरविंद जी
हटाएंteen varsh pure hone par badhai... gazal badhiya hai
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अरुण चन्द्र जी
हटाएंमित्रता की बेमिसाल पेशकश .... यूँ ही सालगिरह मने और हमारे हिस्से ग़ज़लों की सौगात रहे
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया रश्मि ,तुम्हारे जैसे पुरख़ुलूस दोस्तों की दुआएं साथ होंगी तो ब्लॉग की उम्र भी लंबी होगी
हटाएंब्लॉग कि तीसरी सालगिरह पर बहुत-बहुत मुबारक हो .....
जवाब देंहटाएंवक़्त ए रुख़्सत इसी उम्मीद पे देखा सब को
बढ़ के रोके कोई अपना तो ठहर जाऊँगा!
वाह!काश..कि ऐसा होता ....
खुश रहें!
बेहद शुक्र्गुज़ार हूँ अशोक जी आप की पसन्दीदगी और दुआओं के लिये
हटाएंबस दुआओं का ये साया बनाए रखियेगा
वल्लाह................मुझे तो मालूम ही नहीं था कि आज की ये ग़ज़ल, ये जश्न मेरे नाम है.............. आभार जताउंगी तो मार खाऊँगी...क्या कहूं? मेरे तो आंसू ही आ गए...इसी तरह लिखती रहो इस्मत.....अशेष शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंअरेएएएएए ये दिन तो हमेशा ही तुम्हारे नाम से याद किया जाएगा वंदना :)
हटाएंमेरा बिखरा हुआ हर लम्हा तेरी आस में है
जवाब देंहटाएंतू अगर मुझ को संवारे तो संवर जाऊँगा.........waah bahut sundar ...vandana wakai bahut pyaari hai ..yah dosti bani rahe ....shubhkaamnaaye ..badhaai .
बहुत बहुत शुक्रिया रंजू
हटाएंब्लौग की तीसरी साल गिरह बहुत बहुत मुबारक हो ...संवेदनशील ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंयूँ तो मैं दर्द के सहरा से गुज़र जाऊँगा
पर तेरी आँख हुई नम तो बिखर जाऊँगा
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तुम ने वादों की जो ज़ंजीर पिन्हाई थी मुझे
इक कड़ी भी कहीं टूटेगी तो मर जाऊँगा
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वक़्त ए रुख़्सत इसी उम्मीद पे देखा सब को
बढ़ के रोके कोई अपना तो ठहर जाऊँगा
बहुत प्यारी पंक्तियाँ
और जो आँखें भी नम ही रहें , वादे भी टूट जाएँ और कोई रोके भी न ..तब ? तब भी कोई ग़ज़ल तो उतरेगी न ? ज़िन्दगी ऐसी ही होती है न ?
शारदा जी बेहद शुक्रगुज़ार हूँ
हटाएंजी शारदा जी ग़ज़ल तो तब भी उतरेगी ही ,हाँ हर बार भाव अलग होंगे
आपकी ग़ज़ल मित्रता के पवित्र रिश्ते के लिए समर्पित और रूहानी है , हर शेर उस जज्बात को उकेर रहे है जो इस पावन रिश्ते की बुनियाद में होते है . छोटे मुँह बड़ी बात कहूँगा की मै गजल ज्यादा नहीं पढता था लेकिन आपकी पढने लगा तो ग़ज़ल मुझे अच्छी लगने लगी . आप ऐसे ही सालो साल लिखे , हम पर ग़ज़ल रूपी अमृत वर्षा होती रहेगी ., शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंचलो अच्छा हुआ आशीष इसी बहाने ग़ज़ल को एक पाठक और मिला :),,,,बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंख़ुश रहो हमेशा
सबसे पहले तो तीसरी सालगिरह पर मेरी दिली बधाई और यह सफर चलता रहे उसके लिए मेरे तमाम नेक-ख्वाहिसात!!
जवाब देंहटाएंआपकी ग़ज़लों की सबसे खूबसूरत बात जो मुझे मुतास्सिर करती है वो यह है कि आपकी ग़ज़लों को पढते हुए लगता ही नहीं कि इस गज़ल पर किसी जेंडर की छाप है.. एक ऐसे मौजू पर आप अपनी बात कहती हैं जो हर किसी के एहसासात से ताल्लुक रखता है और गज़ल की सही मायनों में नुमाइंदगी करता है.
इस गज़ल के बारे में किसी एक शे'र की तारीफ़ पूरी गज़ल की तौहीन होगी.. लेकिन हासिले गजल शेर है
वक़्त ए रुख़्सत इसी उम्मीद पे देखा सब को
बढ़ के रोके कोई अपना तो ठहर जाऊँगा.
सीधा दिल में उतर जाता है.. एक सादगी भरी, बेहतरीन गज़ल.. शुक्रिया और बधाई एक बार फिर!!
बेहद मशकूर हूँ सलिल जी ,आप इतने मन से एक विष्लेशक की तरह ग़ज़ल पढ़ते हैं
हटाएंकिसी रचनाकार को और क्या चाहिये यदि उसे ऐसे पाठक मिल जाएं जो उस की रचना को पूरे मन से पढ़ें
बहुत बहुत शुक्रिया एक बार फिर
सब से पहले वंदना जी को बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और धन्यवाद ... उन की ज़िद के कारण आज हम सब इस ब्लॉग की तीसरी सालगिरह के जश्न मे शामिल हो पा रहे है !
जवाब देंहटाएंवैसे यह अभी भी सिर्फ एक शुरुआत है ... सफर लंबा है ... मेरी ओर से इस सफर के हार्दिक शुभकामनायें!
धन्यवाद शिवम जी !
हटाएंसबसे पहले शेफा के ब्लॉग की तीसरी वर्ष गाँठ पर
जवाब देंहटाएंढेरों मुबारकबाद ....
दोस्ती के पाक जज़्बे को ख़याल में रख कर
कही गयी ग़ज़ल का हर शेर
आपके उम्दा और पुख्ता गज़लकार होने की गवाही दे रहा है
वक़्त ए रुख़्सत इसी उम्मीद पे देखा सब को
बढ़ के रोके कोई अपना तो ठहर जाऊँगा
ये शेर मुझे ख़ास तौर पर पसंद आया ...
बेहद शुक्रगुज़ार हूँ दानिश साहब
जवाब देंहटाएंवक़्त ए रुख़्सत इसी उम्मीद पे देखा सब को
जवाब देंहटाएंबढ़ के रोके कोई अपना तो ठहर जाऊँगा
*****
इस शेर में "इसी उम्मीद से" है जो ग़लती से ’पे’ लिख गया है कृपया इसे ’से’ पढ़ें
ब्लॉग की तीसरी सालगिरह मुबारक हो आपको ,और आपकी खूबसूरत ग़ज़लें हमें पढ़ने को मिलती रहें ऐसे ही |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आदिति जी
हटाएंपूरी ग़ज़ल पढी, एक बार, दो बार फिर तीसरी बार भी..... एक शेर उठाऊं, तो दूसरा उससे बेहतर लगे, दूसरा उठाऊं, तो तीसरा बेहतर लगे................ बड़ी मुश्किल में दाल देती हो तुम तो... तुमसे कहा है न, की एकाध शेर गड़बड़ लिखा करो, ताकि एक शेर से दुसरे की तुलना की जा सके और आँख मूँद के कोड किया जा सके :) लेकिन तुम हो कि सुधरती ही नहीं...ऐसे एक से बढ़ के एक शेर लिख-लिख के ग़ज़ल के सांचे में ढाल देती हो, कि मैं गरीब परेशान हो जाती हूँ... अब पूरी ग़ज़ल उठा के यहाँ धर दूं, तो सब हँसेंगे नहीं? फिर भी एक तो यहाँ रखना ही होगा--
जवाब देंहटाएंवक़्त ए रुख़्सत इसी उम्मीद पे देखा सब को
बढ़ के रोके कोई अपना तो ठहर जाऊँगा
बस ऐसे ही लिखती रहो, मुझे श्रेय देती रहो, और ब्लॉग का शतक मनाओ :)
तुम भी इसी तरह प्रेरणा स्रोत बनी रहो मेरे लिये ताकि मैं ऐसी तुकबंदी करती रहूँ :):)
हटाएंतीसरी सालगिरह मुबारक हो. बहुत प्यारी ग़ज़ल कही है इस मौके पर. बढ़िया शेर नाजिल हुए है. अल्लाह करे जोरे-कलम और जियादा.
जवाब देंहटाएंtah e dil se shukrguzar hoon
हटाएंब्लॉग के तीन वर्ष पूरे होने की बधाई और शुभकामनाएं ..... आप यूं ही लिखती रहें
जवाब देंहटाएंतुम ने वादों की जो ज़ंजीर पिन्हाई थी मुझे
इक कड़ी भी कहीं टूटेगी तो मर जाऊँगा
*****
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
बहुत बहुत शुक्रिया संगीता जी
हटाएंबहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल लगाई है आपने ब्लॉग की सालगिरह पर। ब्लॉग और आपको शुभकामनाएं। यह सफर यूं ही चलता रहे और हमें ऐसी ग़ज़लें पढ़ने को मिलती रहें।
जवाब देंहटाएंबस आप सब की शुभकामनाएं साथ रहीं तो ये सफ़र चलता रहेगा
हटाएंइन्शाअल्लाह
सबसे पहले तो अपनी प्यारी बहना को उसके ब्लॉग की तीसरी साल गिरह पर ढेरों मुबारकबाद...ये ब्लॉग सालों साल यूँ ही चलता रहे और हम इस पर खिले ग़ज़लों के फूलों से महकते रहें...देर से आना हुआ...लेकिन आ कर जो दिली सुकून मिला है वो लफ़्ज़ों में बयां नहीं कर पाऊंगा...इतनी खूबसूरत ग़ज़ल कही है के क्या कहूँ...एक एक शेर तराशा हुआ नगीना है...किसी एक शेर को कोट करना बाकि के शेरों के साथ ना इंसाफी होगी...हर शेर कमाल का है...लाजवाब...ढेरों दाद कबूल करें
जवाब देंहटाएंनीरज
नीरज भैया बहुत अधीरता के साथ आप की इन दुआओं की प्रतीक्षा थी मुझे,,आप से यही इल्तेजा है कि अपना आशीर्वाद इसी तरह बनाए रखियेगा
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
गज़ल अभी नहीं पढ़ी है आपा...
जवाब देंहटाएंसिर्फ लाल अक्षर पढ़ कर कमेन्ट दे रहा हूँ...
:) :)
:)
तो कब पढ़ोगे भाई ??
हटाएंसालगिरह पर आपको व वन्दना जी को बधाई !
जवाब देंहटाएंआपका प्यार मिसाल बने !
बहुत बहुत शुक्रिया सतीश जी !!
हटाएंवक़्त ए रुख़्सत इसी उम्मीद पे देखा सब को..
जवाब देंहटाएंबढ़ के रोके कोई अपना तो ठहर जाऊँगा
ajeeb dil ko chhoone waalaa she'r hai aapaa.....
aaj bhi kuchh nhin kahaa jaayegaa
हाँ मनु मुझे भी ये शेर अच्छा लगता है
हटाएंशुक्रिया
आप सभी गुणीजनों का बहुत बहुत धन्यवाद -शुक्रिया
जवाब देंहटाएंब्लाग की सालगिरह मुबारक। अच्छी गजल है पढ़कर सुकून मिला। बधाई।
जवाब देंहटाएंNarendr ji bahut bahut shukriya
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