एक आम सी ग़ज़ल हाज़िर ए ख़िदमत है ,,
ग़ज़ल
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पथरा गई निगाह इसी इंतेज़ार में
आएगा कोई शख़्स कभी इस दयार में
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चाहा था तुम ने फूल खिलें रेगज़ार में
पर बात ये नहीं थी मेरे एख़्तियार में
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ऐ रहनुमा ए क़ौम यक़ीं कैसे हो हमें
धोके मिले हैं हम को सदा एतबार में
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लोरी , कहानी, प्यार की थपकी कहाँ गई
नन्हे सवाल हैं निगह ए अश्कबार में
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कैसी उड़ान ,कैसी बलंदी , कहाँ का जोश
सब ख़त्म हो गया तेरे बस एक वार में
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हम ने ज़मीर का कभी सौदा नहीं किया
बस ख़्वाहिशात हार गईं कारज़ार में
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तन्हाइयों को दोस्त बनाना न ऐ ’शेफ़ा’
खो जाएगी हयात ये गर्द ओ ग़ुबार में
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रेगज़ार = रेगिस्तान ; निगह ए अश्कबार = आँसुओं से भरी आँख ; कारज़ार = युद्ध
गर्द ओ ग़ुबार = धूल और मिट्टी
वाह्…………बेहतरीन अशरारों से सजी गज़ल्।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ग़ज़ल.... हर शेर बेहतरीन
जवाब देंहटाएंहम ने ज़मीर का कभी सौदा नहीं किया
जवाब देंहटाएंबस ख़्वाहिशात हार गईं कारज़ार में.....ekdam lajabab......
vaah vaah daad kabool kijiye saare ashaar ek se badhkar ek hain makte vaale sher ne to sama baandh dia.
जवाब देंहटाएंऐ रहनुमा ए क़ौम यक़ीं कैसे हो हमें
जवाब देंहटाएंधोके मिले हैं हम को सदा एतबार में ...
यही सवाल लिए घूमते हैं हम दरबदर
कोई जवाब तो मिले इस रहगुज़र में
दवा नहीं कि मैंने लिखा होगा सही
जवाब देंहटाएंपर हर शेर की गुज़ारिश थी कुछ लिखो तो सही
लोरी , कहानी, प्यार की थपकी कहाँ गई
जवाब देंहटाएंनन्हे सवाल हैं निगह ए अश्कबार में
बहुत खूब...ये आम सी ग़ज़ल बहुत ख़ास है...
sudar
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी है ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंलोरी , कहानी, प्यार की थपकी कहाँ गई
जवाब देंहटाएंनन्हे सवाल हैं निगह ए अश्कबार में ...
बहुत ही मासूमियत से लिखा गया शेर ... हर शेर ताज़ा तरीन ... इस आम से गज़ल में जीवन दर्शन समेट दिया है आपने ...
वाह!!!
जवाब देंहटाएंगहरे भावों से सजी गज़ल...
हर शेर खूबसूरत ...........
सादर.
bahut umdaa gazal
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंsabh sher behad khoobsoorat..
जवाब देंहटाएंहम ने ज़मीर का कभी सौदा नहीं किया
जवाब देंहटाएंबस ख़्वाहिशात हार गईं कारज़ार में
umda gazal ...
कैसी उड़ान ,कैसी बलंदी , कहाँ का जोश
जवाब देंहटाएंसब ख़त्म हो गया तेरे बस एक वार में
बेहतरीन..
चाहा था तुम ने फूल खिलें रेगज़ार में
जवाब देंहटाएंपर बात ये नहीं थी मेरे एख़्तियार में
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल दाद तो कुबूल करनी ही होगी .....
चाहा था तुम ने फूल खिलें रेगज़ार में
जवाब देंहटाएंपर बात ये नहीं थी मेरे एख़्तियार में
बहुत खूबसूरत गज़ल
bahut dard bhari aur ek umda gazal.
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आदरणीया आपा इस्मत ज़ैदी जी
सादर प्रणाम एवं मधुर स्मृतियां !
एक और बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल पढ़ने का अवसर देने के लिए आभार !
चाहा था तुम ने फूल खिलें रेगज़ार में
पर बात ये नहीं थी मेरे एख़्तियार में
आह ! दिल छू लिया इस शे'र ने…
हम ने ज़मीर का कभी सौदा नहीं किया
बस ख़्वाहिशात हार गईं कारज़ार में
वाह वाह ! लाजवाब !
यही कामना है आप स्वस्थ-सानन्द रहें ताकि हमें ऐसी ख़ूबसूरत ग़ज़लियात पढ़ने को मिलती रहें …
हार्दिक शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
"रहनुमा ए क़ौम यक़ीं कैसे हो हमें
जवाब देंहटाएंधोके मिले हैं हम को सदा एतबार में"
राजनेताओं के वादे, घोषणा-पत्र सबको कैसा खरा जवाब दिया है तुमने!!!
"कैसी उड़ान ,कैसी बलंदी , कहाँ का जोश
सब ख़त्म हो गया तेरे बस एक वार "
नीचे गिराने की कोशिशें तो कई लोग करते हैं, लेकिन कभी-कभी कोई एक बात ही नश्तर का काम करती है, और तमाम उपलब्धियां बेकार लगने लगती हैं... बहुत खूबसूरत शेर है ये इस्मत. अगर हम इसे केवल महिलाओं के परिप्रेक्ष्य में देखें तो लगता है जैसे तमाम सफल महिलाओं की तक़लीफ़ बयां कर दी हो...
बहुत सुन्दर ग़ज़ल है. बधाई.
ऐ रहनुमा ए क़ौम यक़ीं कैसे हो हमें
जवाब देंहटाएंधोके मिले हैं हम को सदा एतबार में ..बहुत खूब !!
इस आम सी ग़ज़ल में बहुत खास शेर पढ़ने को मिले, दिल को छू लेने वाले।
जवाब देंहटाएंदिली मुबारकबाद।
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..की-बोर्ड वाली औरतें।
मूस जी मुस्टंडा...
itni tarif huee is gazal ki ke mere paas kahne ko bas ek hi shbd hai "Laajwaab"
जवाब देंहटाएंलाजवाब गजल।
जवाब देंहटाएंसादर
खूबसूरत ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंऐ रहनुमा ए क़ौम यक़ीं कैसे हो हमें
जवाब देंहटाएंधोके मिले हैं हम को सदा एतबार में
Kya gazab likha hai!
Aapse aaj kal me baat karungee!
लोरी , कहानी, प्यार की थपकी कहाँ गई
जवाब देंहटाएंनन्हे सवाल हैं निगह ए अश्कबार में
सुभान अल्लाह...कैसे कैसे अशार कह देती हैं आप...सीधे दिल पे आ लगते हैं...बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...दाद कबूल हो.
नीरज
हम ने ज़मीर का कभी सौदा नहीं किया
जवाब देंहटाएंबस ख़्वाहिशात हार गईं कारज़ार में
ख़ास ग़ज़ल पद्वाई आपने आम का लेवल चस्पां कर .मुबारक .
इस आम सी गज़ल का हर एक शेर खास है.
जवाब देंहटाएंतन्हाइयों को दोस्त बनाना न ऐ ’शेफ़ा’
जवाब देंहटाएंखो जाएगी हयात ये गर्द ओ ग़ुबार में
बस एक ही शब्द .....निरुतर कर दिया आपकी गज़ल ने
पथरा गयी निगाह इसी इंतज़ार में
जवाब देंहटाएंआएगा कोई शख्श कभी इस दयार में
मतले के इसी खूबसूरत शेर से होती हुई
एक शानदार ग़ज़ल ने , वाक़ई मन मोह लिया है ..
हर शेर को पढ़ कर इक अलग ताज़गी से गुज़रने जैसा
अहसास बना रहता है ... वाह !
मुबारकबाद !!
लोरी , कहानी, प्यार की थपकी कहाँ गई
जवाब देंहटाएंनन्हे सवाल हैं निगह ए अश्कबार में
ऐ रहनुमा ए क़ौम यक़ीं कैसे हो हमें
धोके मिले हैं हम को सदा एतबार में ...
यही सवाल लिए घूमते हैं हम दरबदर
कोई जवाब तो मिले इस रहगुज़र में
shabd nahi hamare paas , laajwaab
पूरी ग़ज़ल ही शानदार है। वाह!
जवाब देंहटाएंbahadur shah zafar kee zameen par bahut hi achchhe sher kahe hain aapne. bahut mushkil kaam tha yah mubaraq ho.
जवाब देंहटाएंकैसी उड़ान ,कैसी बलंदी , कहाँ का जोश
जवाब देंहटाएंसब ख़त्म हो गया तेरे बस एक वार में
ये बहुत ख़ास है.
चाहा था तुम ने फूल खिलें रेगज़ार में
जवाब देंहटाएंपर बात ये नहीं थी मेरे एख़्तियार में...
ज़िन्दगी की हक़ीक़त बयान करता शेर...मुबारकबाद कबूल फ़रमाएं...
लोरी , कहानी, प्यार की थपकी कहाँ गई
नन्हे सवाल हैं निगह ए अश्कबार में...
इस नन्हे लफ़्ज़ के बहुत बड़े मानी हैं इस्मत साहिबा...बहुत खूबसूरती से कहा गया शेर.