कभी कभी लिखना चाहते हुए भी कुछ लिखना मुहाल लगता है
ऐसे ही हालात में कही गई ग़ज़ल आप की ख़िदमत में हाज़िर है
ग़ज़ल
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जान कर बच्चा हमें बहलाएगी
झुनझुना वादों का फिर दे जाएगी
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उल्झनें जिस ज़ात से मनसूब हैं
मस’अलों को कैसे वो सुलझाएगी
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साँझ ने घूंघट उठाया रात का
चाँद की क़ुर्बत में शब शरमाएगी
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गेसू ए ज़ुल्मत बिखेरे रात ने
फिर उरूस ए शब कोई बिक जाएगी
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दोस्तों के इस नए अंबोह में
वो पुरानी दोस्ती घबराएगी
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रात काटेगी हवेली जाग कर
और कुटिया चैन से सो जाएगी
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मनसूब = जुड़ी हुई ,, संबंधित ; गेसू = बाल ; ज़ुलमत = अँधेरा
उरूस ए शब = रात की दुल्हन ; अंबोह = भीड़ ; क़ुर्बत = निकटता
रात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी
वाह ..बहुत खूब कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
दोस्तों के इस नए अंबोह में
जवाब देंहटाएंवो पुरानी दोस्ती घबराएगी
kitni sunder baat kahi hai aapne......
रात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएग……………बहुत ही शानदार प्रस्तुति।
रात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी...सुकून का बसर कुटिया में ही है
वाह वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
लिखना मुहाल था..क्या सचमुच????
मेरी ख्याल से बेमिसाल शायरी ..
दाद कबूल करें.
रात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी
-vaah bahut khoob.umda ghazal.
बहुत खूबसूरत गज़ल ... पहला शेर समसामयिक ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
bahut badhiya gazal... bahut sundar...
जवाब देंहटाएंरात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी
वाह...बहुत ही खूबसूरत लिखा है ....
बहुत खूब, हवेलियाँ यूँ ही व्यथित रहती हैं..
जवाब देंहटाएंउल्झनें जिस ज़ात से मनसूब हैं
जवाब देंहटाएंमस’अलों को कैसे वो सुलझाएगी
जब लिखना मुहाल लगता हो तब ऐसे शेर कहे जाएँ तो सोचिये कैसे शेर आप कहेंगीं जब लिखना मुहाल नहीं होगा...कमाल की ग़ज़ल...सबसे बड़ी बात है आपकी ग़ज़लों से नए नए उर्दू लफ्ज़ पढने को मिलते हैं...इस ग़ज़ल में आया " अंबोह" लफ्ज़ मैंने पहली बार पढ़ा...वाह...और मक्ता...सुभान अल्लाह...बेजोड़..
नीरज
दोस्तों के इस नए अंबोह में
जवाब देंहटाएंवो पुरानी दोस्ती घबराएगी behad sundar panktiyan...mere blog mein aapka swagat hai...
जान कर बच्चा हमें बहलाएगी
जवाब देंहटाएंझुनझुना वादों का फिर दे जाएगी........
जी,यही तो होता चला आ रहा है.बहुत सटीक शेर है.
बेहतरीन ग़ज़ल.
बहुत उम्दा गजल कही है | आपको बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंवाह!!! बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही आपने... हर एक शे`अर ज़बरदस्त लगा...
जवाब देंहटाएंरात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी
कमाल है ....गहरा असर छोड़ने में कामयाब !
आभार !
बेहतरीन ग़ज़ल....बहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंरात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी
वाह ..बहुत खूब
बेहतरीन प्रस्तुति
कल 14/1/2012को आपकी पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
उल्झनें जिस ज़ात से मनसूब हैं
जवाब देंहटाएंमस’अलों को कैसे वो सुलझाएगी
छोटी बहर में कई बड़ी बातें कह गयी है
आपकी यह ग़ज़ल ... वाह !
लिखना मुहाल है... बस यही बात
कहीं नज़र नहीं आई इस बंदिश में ...
मुबारकबाद !
Har ek She'r lajawab hai... Jitni bhi tareef kare kam hai... Is behtreen Gazal par Daa'd qubul farmaaiye...
जवाब देंहटाएं"दोस्तों के इस नए अंबोह में
जवाब देंहटाएंवो पुरानी दोस्ती घबराएगी"
क्या बात है!!!!!!!!!
लेकिन हम नहीं घबरा रहे इस्मत :) :) :)
वैसे लिखना मुहाल होने पर ऐसा लिखा गया है तो जब पूरे शौक़ से लिखा जायेगा तब क्या होगा???
रात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी
क्या बात कही है..जब लिखना मुहाल है तब तो ऐसी ग़ज़ल लिखी है...बहुत खूब !!
बहुत सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया गजल,..बहुत खूब क्या बात है,.. रचना अच्छी लगी.....
जवाब देंहटाएंnew post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....
बहुत बढ़िया गजल है
जवाब देंहटाएंरात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी ...
वाह .. कितनी सादगी से कहा गया शेर ... ऐसे शेर कहना आसान नहीं ... ये आप की सादगी है ...
पूरी गज़ल कमाल है ... मकर संक्रांति की शुभकामनायें ...
SADA HI KADVE SACH KO MUKHAR KARTI APKI GAGLE LAAJAWAB HOTI HAIN.
जवाब देंहटाएंइस नए जमाने की दोस्ती में वाकई में काफी घबराहट है। और अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही खूबसूरत हैं।
जवाब देंहटाएंआभार
प्यार में फर्क पर अपने विचार ज़रूर दें..
साँझ ने घूंघट उठाया रात का
जवाब देंहटाएंचाँद की क़ुर्बत में शब शरमाएगी
रात काटेगी हवेली जाग कर
और कुटिया चैन से सो जाएगी
achchhi gazal...samyik chintan se labrez sher...kudrat ke karishme ka ahsaas bhi...bahut khoob!
आदरणीया
जवाब देंहटाएंपहले तो नए साल की बधाई
ग़ज़ल हमेशा की तरह खूबसूरत
उल्झनें जिस ज़ात से मनसूब हैं
मस’अलों को कैसे वो सुलझाएगी
इस शेर के कितने मानी हैं...... जितना सोचो उतना गहरा.....!!!!
बहुत सार्थक प्रस्तुति, सुंदर गजल बेहतरीन पोस्ट....
जवाब देंहटाएंnew post...वाह रे मंहगाई...
बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंmere blog " meri kavitayen" par bhee padharen.
रात काटेगी हवेली जागकर,
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जएगी।
सुन्दर पंक्तियाँ......
कृपया इसे भी पढ़े-
क्या यही गणतंत्र है
गज़ल की भावनाएं अच्छी लगीं.
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस हम सभी भारतवासियों को मुबारक हो.
इलाही वो भी दिन होगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा.
आखरी शेर गजब का। बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कहती हैं आप।
जवाब देंहटाएंरात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी
वाह!!!
बहुत सुंदर गजल ,लाजबाब प्रस्तुती .
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
रात काटेगी हवेली जाग कर
जवाब देंहटाएंऔर कुटिया चैन से सो जाएगी
वाक़ई, उम्दा ग़ज़ल में ये शेर सबसे अच्छा लग रहा है.