एक कविता प्रस्तुत है
इसे शायद आप ने रश्मि प्रभा जी के blog पर भी पढ़ा होगा
ये विषय भी उन का ही दिया हुआ है
आभारी हूँ रश्मि जी की , जिनके कारण इस कविता का अस्तित्व है
उन के विषय पर मेरे भावों का जो प्रभाव है वो आप के समक्ष है
उसके नाम
___________
लिख पाती ’उस के नाम’ अगर
इसे शायद आप ने रश्मि प्रभा जी के blog पर भी पढ़ा होगा
ये विषय भी उन का ही दिया हुआ है
आभारी हूँ रश्मि जी की , जिनके कारण इस कविता का अस्तित्व है
उन के विषय पर मेरे भावों का जो प्रभाव है वो आप के समक्ष है
उसके नाम
___________
लिख पाती ’उस के नाम’ अगर
मैं अपने सारे सुख लिखती
उस के मन की अंगनाई में
वासंती रुत छाई रहती
उस के जीवन की बगिया में
फूलों के रंग बिखर जाते
वो जिस की बातों में खो कर
सदियों से प्यासी रूहें भी
सपने बुनतीं ख़ुशहाली के
वो जिस के शब्दों की माया
वो जिस की मर्यादित काया
मानवता के पथ पर चलकर
करती उद्धार चरित्रों का
करती उपचार विचारों का
’उस’ जीवन की अफ़रा तफ़री
’उस’ मन के अंतर्द्वन्द्व सभी
’उस’ दिल में बसे दुख दर्दों को
मैं हर न सकी तो जीवन क्या ?
पर वो जो भाग्य विधाता है
बस वो ही क़िस्मत लिखता है
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
तो अपने सारे सुख लिखती
सबको सुख देने की इच्छा तो रहती है पर जग में ऐसा सम्भव नहीं हो पाता है। बड़ी सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंपर वो जो भाग्य विधाता है
जवाब देंहटाएंबस वो ही क़िस्मत लिखता है
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
तो अपने सारे सुख लिखती ...
बहुत ही भावमय करते हुये शब्द हैं और खूबसूरत अहसासों को आपने इन पंक्तियों में उतारा है ...आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति का ।
बड़ी मासूम प्यारी सी दुआ है ..
जवाब देंहटाएंआपकी उर्दू और हिंदी पर समान पकड़ है ...
उस’ जीवन की अफ़रा तफ़री
जवाब देंहटाएं’उस’ मन के अंतर्द्वन्द्व सभी
’उस’ दिल में बसे दुख दर्दों को
मैं हर न सकी तो जीवन क्या ?
लाजवाब कर दिया आपकी इन पंक्तियों ने...आपतो कमाल की लेखिका हैं...शायरी भी करती हैं तो कविता भी...वाह...यूँ ही लिखती रहें...आमीन
नीरज
लिख पाती ’उस के नाम’ अगर
जवाब देंहटाएंमैं अपने सारे सुख लिखती
उस के मन की अंगनाई में
वासंती रुत छाई रहती
उस के जीवन की बगिया में
फूलों के रंग बिखर जाते.....
कविता के कोमल भाव मन को स्पंदित कर रहें हैं !
सुन्दर प्रस्तुति हेतु आभार !
पर वो जो भाग्य विधाता है
जवाब देंहटाएंबस वो ही क़िस्मत लिखता है
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
तो अपने सारे सुख लिखती....
...सही बात है. ऊपरवाले की मर्ज़ी के आगे इंसान का कोई वश नहीं चलता......बहुत ही भावपूर्ण नज्म है ये.....मुबारक हो.... आपको भी और इसकी प्रेरणा स्रोत बनी रश्मि प्रभा जी को भी...
---देवेंद्र गौतम
आदरणीया दीदी इस्मत ज़ैदी जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
अंतर्लय के निर्वहन का सुंदर उदाहरण है आपकी कविता !
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
तो अपने सारे सुख लिखती
व्यष्टि से समष्टि को महत्वपूर्ण मानना ही मानवीयता है ।
सुंदर भावों से सज्जित इस कविता के लिए आभार और बधाई !
♥नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
महादेवी वर्मा जी ने एक बार कहा था ,,
जवाब देंहटाएंछा जाता जीवन में वसंत
लुट जाता चिर संचित विषाद
आँखें देतीं सर्वस्व वार .....
अनुबद्ध तो नहीं कर रहा हूँ ,
लेकिन ये काव्य पढ़ कर छायावाद जैसी
किसी पृष्ठ भूमि की अनुभूति होना स्वाभाविक-सी लगी
खैर
भावनाओं को मिले शब्द
लेखन को
श्रेष्ठ होने का मान तो दे ही रहे हैं .
बेहद सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं’उस’ जीवन की अफ़रा तफ़री
जवाब देंहटाएं’उस’ मन के अंतर्द्वन्द्व सभी
’उस’ दिल में बसे दुख दर्दों को
मैं हर न सकी तो जीवन क्या ?
पर वो जो भाग्य विधाता है
बस वो ही क़िस्मत लिखता है
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
तो अपने सारे सुख लिखती
बहुत खूबसूरत अहसास.
खूबसूरत अलफ़ाज़.
सलाम.
पर वो जो भाग्य विधाता है
जवाब देंहटाएंबस वो ही क़िस्मत लिखता है
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
तो अपने सारे सुख लिखती
bahut hi achchhi rachna ,wo bhet khoobsurat hi hoti hai jiska sambandh dil ki sachchai se ho .
पर वो जो भाग्य विधाता है
जवाब देंहटाएंबस वो ही क़िस्मत लिखता है
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
खूबसूरत एहसास से भरी सुन्दर रचना
पर वो जो भाग्य विधाता है
जवाब देंहटाएंबस वो ही क़िस्मत लिखता है
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
तो अपने सारे सुख लिखती
इसमें वसुधैव कुटुम्बकम से विचार हैं... अद्वैत, अनुपम, विस्तृत
umda!!! mubarakbad lijiye dil se!!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपर वो जो भाग्य विधाता है
जवाब देंहटाएंबस वो ही क़िस्मत लिखता है
कुछ वश में अगर मेरे होता
मैं उस के सारे दुख हरती
लिख पाती उस के नाम अगर
तो अपने सारे सुख लिखती
बहुत सुन्दर भाव.
लिख पाती ’उस के नाम’ अगर
जवाब देंहटाएंमैं अपने सारे सुख लिखती
इंसान वाक़ई ऐसा सोचने लगता है
लेकिन,
आप ही ने कहा है न
पर वो जो भाग्य विधाता है
बस वो ही क़िस्मत लिखता है
बहुत उम्दा रचना है, मुबारकबाद.
बहुत गहरे भाव हैं .... और ऐसे गहरे भाव किसी "उस" के नाम अनायास ही उठ आते हैं ... शायद यही प्रेम के पराकाष्ठा है ...
जवाब देंहटाएंअनुपम रचना है ...
लिख पाती उस के नाम अगर
जवाब देंहटाएंतो अपने सारे सुख लिखती
lajabab....bemisaal....
ख़ूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंलिख पाती तो सब सुख लिख देती उसके नाम ...
जवाब देंहटाएंउसके लिए इतना सोचना भी कम कहाँ रहा होगा ..
बेहद सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
वाह इस्मत जी क्या लय का निर्वाह किया है आपने, वाह वाह वाह| बहुत ही दमदार कविता है ये| नमन|
जवाब देंहटाएंhttp://samasyapoorti.blogspot.com
’उस’ जीवन की अफ़रा तफ़री
जवाब देंहटाएं’उस’ मन के अंतर्द्वन्द्व सभी
’उस’ दिल में बसे दुख दर्दों को
मैं हर न सकी तो जीवन क्या ?
bahut sundar!
ek manohari rachna
लिख पाती ’उस के नाम’ अगर
जवाब देंहटाएंमैं अपने सारे सुख लिखती
उस के मन की अंगनाई में
वासंती रुत छाई रहती
उस के जीवन की बगिया में
फूलों के रंग बिखर जाते...............
बहुत खुबसूरत अहसास, खुबसूरत अंदाज़, बेहतरीन फनकारी का मुजायरा आपने इस कविता (नज़्म ) मैं किया है आपको मुबारकबाद दाद कुबूल फरमाएं जिंदाबाद
’उस’ जीवन की अफ़रा तफ़री
जवाब देंहटाएं’उस’ मन के अंतर्द्वन्द्व सभी
’उस’ दिल में बसे दुख दर्दों को
मैं हर न सकी तो जीवन क्या ?
बस यही सुन्दर सी अदा आपके लुभाती है। बहुत दिनो बाद आयी हूँ जो रह गयी रचनायें पडः रही हूँ। कविता, गज़ल नज़्म कुछ हो आपका सानी नही कोई। शुभकामनायें।