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बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

............धनक निसार किया

एक हल्की फुल्की सी ग़ज़ल ले कर हाज़िर हुई हूं ,न तो ये ग़ज़ल इब्तेदाई दौर की ग़ज़लों जैसी नफ़ीस है और न मौजूदा ग़ज़लों जैसी हक़ीक़त पर मबनी ,फिर भी ग़ज़ल है लिहाज़ा आप लोगों तक पहुंचाने की जुर्रत कर रही हूं, इस की कामयाबी या नाकामयाबी का इन्हेसार  आप पर है -----------शुक्रिया

..............धनक निसार किया
_________________________

ज़िंदगी की धनक निसार किया
हर दफ़ा उस ने ऐतबार किया

मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर 
उस ने हर ख़्वाब तार तार किया

उस के जज़्बों का सच परखना था
मैं ने उस पर ही इन्हेसार किया

जानता था है इन्तेज़ार अबस
फिर भी हर लम्हा इन्तेज़ार किया

उस की मासूम सी निगाहों ने 
दिल में पैदा इक इंतेशार किया

मुझ से वाबस्ता ख़्वाब हैं उस के
चश्म ए रौशन ने इश्तेहार किया 
__________________________________________________
इन्हेसार = निर्भर ; अबस = बेकार ; इंतेशार = हलचल , तितर-बितर
वाबस्ता= जुड़े हुए ; चश्म =आंख

37 टिप्‍पणियां:

  1. उस की मासूम सी निगाहों ने
    दिल में पैदा इक इंतेशार किया
    वाह, क्या बात है !

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  2. जानता था है इन्तेज़ार अबस
    फिर भी हर लम्हा इन्तेज़ार किया
    क्या बात है इस्मत. अलग अन्दाज़ और अन्दाज़-ए-
    बयां भी. बहुत सही बात.
    और-
    मुझ से वाबस्ता ख़्वाब हैं उस के
    चश्म ए रौशन ने इश्तेहार किया
    बहुत खूब. शानदार ग़ज़ल पढवाने के लिये आभार. ऐसे ही लिखती रहें.

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  3. मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया

    इस खूबसूरत ग़ज़ल को गीत का रूप मिलना चाहिए ! मज़ा आ जाएगा ! शुभकामनायें आपको !!

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  4. उस की मासूम सी निगाहों ने
    दिल में पैदा इक इंतेशार किया

    मुझे नहीं लगता जो चीज़ दिल में उतर जाय वो हलकी होती है .... सीधे शब्दों में कही बात तो वैसे भी हलकी नहीं होती ...
    बहुत अच्छी लगी आपकी ये ग़ज़ल ... या कहूं सरल शब्दों में लिखी असरदार ग़ज़ल है ...

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  5. बहुत ही सुंदर गजल हर शेर एक से बढ कर एक, धन्यवाद

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  6. मुझ से वाबस्ता ख़्वाब हैं उस के
    चश्म ए रौशन ने इश्तेहार किया
    मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया

    ये दो खूबसूरत शेर पढ़ लेना
    किसी भी इंसान के मन की करवटों को
    पढ़ लिए जाने को तस्दीक़ करता है .. वाह
    ग़ज़ल का लहजा, ग़ज़ल ही की बात कर रहा है
    ख़फ़ीफ़ का बहुत बेहतर इस्तेमाल ... !!

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  7. बहुत खूब. शानदार ग़ज़ल पढवाने के लिये आभार

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  8. प्रेमदिवस की शुभकामनाये !
    कई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका
    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

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  9. मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया

    बहुत अच्छी ग़ज़ल का ये शेर सबसे खास लगा है. शायद दूसरों की खुशियों में अपनी खुशियां तलाश करना इसी का नाम है. उम्दा कलाम के लिए मुबारकबाद.

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  10. उस की मासूम सी निगाहों ने
    दिल में पैदा इक इंतेशार किया

    वाह ...बहुत ही खूब ।

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  11. मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया



    साधारण सी बात है यह,लेकिन जिस तरह से आपने शेर में सहेजा की मन मोह लिया इसने....
    हर शेर नायब...बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने...

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  12. उम्दा ग़ज़ल.हर शेर लाजवाब.khaskar...
    मुझ से वाबस्ता ख़्वाब हैं उस के
    चश्म ए रौशन ने इश्तेहार किया
    सलाम

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  13. मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया ...


    शे'र क्या है आपा...बस..कमाल ही है...
    कितने ही दिन हो गए थे नेट की ख़ाक छाने हुए...आज आते ही एकदम मस्त कर डाला आपने आपा...
    ग़ज़ल की दाद और इस जालिम शे'र की महादाद के साथ बच्चे की चरण-वन्दना क़ुबूल करें...

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  14. जानता था है इन्तेज़ार अबस
    फिर भी हर लम्हा इन्तेज़ार किया
    waah bahut khoob ,badhiya gazal rahi

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  15. आदरणीया दीदी इस्मत ज़ैदी जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    आप इसे हल्की फुल्की सी ग़ज़ल कह सकती हैं क्योंकि आपको मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त है…
    हम जैसों के तो पसीने छूट रहे है इस मौसमे-नौबहार में भी …
    मुझ से वाबस्ता ख़्वाब हैं उस के
    चश्म ए रौशन ने इश्तेहार किया


    पूरी ग़ज़ल शानदार है … बधाई !

    तीन दिन पहले प्रणय दिवस भी तो था मंगलकामना का अवसर क्यों चूकें ?
    प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं !

    ♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !♥
    बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  16. ismat ji ,
    kya kahun aapki saari gazale padhne ke baad ab dil me jo dard aaya hai , main kah nahi sakta ,,,,,
    tareef ke liye shabd nahi hai , salaam kabul kare.

    बधाई

    -----------

    मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .

    आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.

    """" इस कविता का लिंक है ::::

    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html

    विजय

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  17. मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया

    आदमी के जीवन में अक्सर यही घटित होता है।

    इस खू़बसूरत ग़ज़ल के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  18. इतनी ख़ूबसूरत ग़ज़ल पढवाने के लिए आपका बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  19. मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया

    इतनी ख़ूबसूरत ग़ज़ल पढवाने के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  20. मुझ से वाबस्ता ख़्वाब हैं उस के
    चश्म ए रौशन ने इश्तेहार किया
    वाह वाह क्या खूब ।

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  21. मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया

    क्या बात है ...
    कोई फरिस्ता ही होगा वो.....

    उस के जज़्बों का सच परखना था
    मैं ने उस पर ही इन्हेसार किया

    बहुत खूब .....जैदी साहिबा .....

    और आपके इन शब्दों के लिए भी शुक्रिया .....

    क्या सच्चे जज़्बात का परिंदा दम तोड़ सकता है ?????
    मेरे नज़रिये से ख़ामोश तो हो सकता है लेकिन इंसान की आख़री सांस तक ये परिंदा उस का साथी ही होता है

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  22. उस की मासूम सी निगाहों ने
    दिल में पैदा इक इंतेशार किया
    जानता था है इन्तेज़ार अबस
    फिर भी हर लम्हा इन्तेज़ार किया
    सरल शब्दों में लिखी असरदार ग़ज़ल है ...
    पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ पर आपके ब्लॉग पर आकर प्रसंता हुई जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।
    सिलसिला जारी रखें ।यही ऊर्जा और स्तर बनाये रखें.......
    हमारी शुभकामनाये आपके साथ है,

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  23. ग़ज़ल से पहले की भूमिका में आपकी मौडेस्टी तो...उफ़्फ़्फ़!!!

    और ये शेर "मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर/ उस ने हर ख़्वाब तार तार किया"...तो माशाल्लाह और आप कहती हैं कि हल्की-फुल्की से ग़ज़ल! ख़फ़ीफ पे लिखने का मेरा अब तक सारा प्रयास नाकाम रहा है और इस बहर पे इतने सहज-सुंदर शेरों वाली ग़ज़ल देखकर बद वाह-वाह!! किये जा रहा हूँ।

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  24. Ismat Ji,

    Bahut sunder Ghazal hai
    Waah .....
    मेरे बस एक ख़्वाब की ख़ातिर
    उस ने हर ख़्वाब तार तार किया

    Surinder Ratti
    Mumbai

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  25. बेहद भावपूर्ण रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें...

    क्या सच में तुम हो???---मिथिलेश

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  26. आद. इस्मत जी,
    जानता था है इन्तेज़ार अबस
    फिर भी हर लम्हा इन्तेज़ार किया
    ग़ज़ल का हर शेर ज़िन्दगी के सच का आईना है ! पढ़ते ही दिल में उतर गया !
    शुक्रिया !

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  27. बहुत अच्छी लगी आपकी ये ग़ज़ल ...
    इतनी ख़ूबसूरत ग़ज़ल पढवाने के लिए शुक्रिया

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  28. मुझ से वाबस्ता ख़्वाब हैं उस के
    चश्म ए रौशन ने इश्तेहार किया
    ...वाह! बेहतरीन गज़ल पढ़वाई आपने। न आता तो महरूम रह जाता इसे पढ़ने की खुशी से। ..आभार।

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  29. ग़ज़लों की आची समझ तो नहीं है मुझे पर भाव अपना निशाँ छोड़ जाते हैं...

    आज पहली दफा पढ़ा है आपको और आपकी इस ग़ज़ल ने दिल निकाल दिया, बहुत बढ़िया!!!

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  30. बेहद मासूम सी खूबसूरत गज़ल .....

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ख़ैरख़्वाहों के मुख़्लिस मशवरों का हमेशा इस्तक़्बाल है
शुक्रिया