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बुधवार, 22 सितंबर 2010

हमारा निर्णय

एक अपील
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वो एक निर्णय
क्या हमारा जीवन बदल देगा?
क्या हम अच्छे पड़ोसी नहीं रहेंगे?
क्या हमारी दोस्ती इसी एक निर्णय पर टिकी है?
क्या इस बार
 दीवाली पर हम एक दूसरे के घर नहीं जाएंगे?
ईद में गले नहीं मिलेंगे?
क्या
अब अयोध्या में केवल शंख  के स्वर सुनाई देंगे ?
या
केवल अज़ान गूंजेगी?
क्या होगा ?किसी को नहीं मालूम
लेकिन
हमें ये तो मालूम है कि
बचाने वाला मारने वाले से बड़ा होता है
हमें ये तो ज्ञात है कि
शांति ,अमन ,चैन 
जीवन की महत्वपूर्ण  आवश्यकताएं हैं
इन के बिना हमारा जीवन ही बेकार है
इस लिए
निर्णय कोई भी हो
किसी के पक्ष में हो
हमें आपा नहीं खोना है
वहां शंख के स्वर सुने जाएं 
या
अज़ान गूंजे
होगी तो इबादत ही
भगवान राम तो सब के 
हृदय में वास करते हैं
उन की महत्ता पर या
नमाज़ की पाकीज़गी पर 
एक निर्णय का क्या प्रभाव 
हो सकता है?
निर्णय
कुछ भी हो
हमें तो अपनी गंगा -जमनी संस्कृति 
की रक्षा करनी है
क्योंकि 
यही तो हमारी पहचान है
हमारे देश में शांति हो 
सद्भावना बनी रहे 
बस यही 
हमारा निर्णय 
होना चाहिये
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24 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर बात। आपा बनाये रखेंगे। पक्का!
    अंसार कंबरी की पंक्तियां हैं:
    शायर हूं कोई ताजा गजल सोच रहा हूं
    मस्जिद में पुजारी हो मंदिर में मौलवी
    ऐसी ही कोई नई जुगत सोच रहा हूं।

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  2. सच कहा आपने...
    अल्लाह हमारे मुल्क में अमनो-अमान और भाईचारा कायम रखे (आमीन).

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  3. ismat ji aapne meri duvidha ko ujagar kar diya ,main waqt nahi nikaal paa rahi .is vishya par mujhe apne vichar rakhne the kyonki main 15 din se isme uljhi hoon ,koi bhi ek tarfa faisala logo ke beech babaal khada kar dega .aur nukshan isme sabhi ka hoga .baat haar jeet ki nahi aman w shaanti ki hai .hum aapas me jitna prem banaye rakhne ki koshish karte hai ,aese muddo ki vajah se nafrat aur irshyaa lahar ki tarah ufaan lene lagti hai aur ye lahar itni unchi na ho jaye ki hum isme doob jaaye ya doobne lage .isliye mere vichar se aesa faisala ho jisme har majhab ke phool khile ,har rang muskaaye ,dil me kisi ke na gila ho ,na kisi ko koi chot pahuchaye .
    isliye mera manna hai koi school ,hospital yaa phir park sabke baithne ke liye khul jaaye ya jaroortmando ki sanstha ,kuchh aesa jahan vatan mahke aur aabaad rahe .ye tera hai na mera hai ,ye wo jameen hai sadiyon se jahan sabka raen basera hai .phir kyo aapas ki jang ,apne dukh hai kya kam ,lutf uthaye gulshan mahkaaye milkar kyo na har rango ke sang .aapki rachna bhi yahi chahti hai aur hum sab bhi .

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  4. सही वक्त पर सही सन्देश दिया आपने। इसके लिये आप बधाई के पात्र हैं। धन्यवाद और शुभकामनायें।

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  5. बहुत सही बात कही है आपने ...धन्यवाद ...

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  6. हमारे देश में शांति हो
    सद्भावना बनी रहे
    बस यही
    हमारा निर्णय
    होना चाहिये...

    दरअस्ल यह सब
    हमारे देश की घटिया और कुंठित राजनीति की
    मनमानियाँ ही हैं जिन्हें सीधे साधे लोगों पर थोपने की ओछी हरक़त की जा रही है ..
    हम सब देश वासी एक हैं,,
    और एक ही रहेंगे . . .

    आदर्शवाद और अस्तित्ववाद काल के महत्त्व को दर्शाती यह रचना सिर्फ काव्य ना हो कर ,
    एक पैगाम है ..अम्न का पैगाम ,,
    इंसानियत के नेक जज़्बे को बलंद रखने का पैगाम ,,,
    बिलकुल सही कहा आपने ,,
    "हमारे देश में शांति हो
    सद्भावना बनी रहे
    बस यही
    हमारा निर्णय
    होना चाहिये"

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  7. सचमुच कोई भी निर्णय हमें हिला न सके ,ऐसी मजबूती होनी चाहिए । इसी विषय पर कुछ पंक्तियाँ लिखी थीं , चाहें तो इस पोस्ट पर देख लें ...पाकीज़गी हमारी खुराक है www.shardaarora.blogspot.com
    वो मौजूद है कण-कण में , फिर भी हम उसे देख पाते नहीं
    हम उसे महसूस करते हैं , प्रार्थनाओं में , इबादत में
    मन्दिर हो कि मस्जिद हो ,दुआओं को उठे हाथों में
    हिन्दू करता है साक्षात्कार परमात्मा का
    मुस्लिम करता है दीदार अल्लाह का
    एक ही नूर है , तरीके उस तक पहुँचने के जुदा-जुदा हैं

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  8. आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया
    शारदा जी ,बहुत सुंदर भाव हैं आप के

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  9. आपका ये सन्देश हिन्दुस्तान के हर शख्स को पढ़ना और समझना चाहिए...

    नीरज

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  10. इस मानवीय कविता के लिए हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  11. कुछ भी हो
    हमें तो अपनी गंगा-जमुनी संस्कृति
    की रक्षा करनी है
    क्योंकि
    यही तो हमारी पहचान है.
    ...आमीन।

    जवाब देंहटाएं
  12. आपका निर्णय...
    हमारा निर्णय....

    हमें बस इतना पता है

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  13. काश हमारे देश के लोग और सबसे ज़्यादा हमारे नेता इन बातों को समझ पाते ....

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  14. आदरणीया दीदी इस्मत ज़ैदी जी
    प्रणाम !

    अब निर्णय आ चुका है , तो हम में से प्रत्येक का कर्तव्य बनता है कि बैर , वैमनस्य भुला कर हमेशा के लिए प्रेम और भ्रातृत्व का मार्ग प्रशस्त करें ।
    कुछ शै्तान के नये अवतार ज़हर बांटने वाले नेता सक्रिय हो'कर अपने स्वार्थ के लिए ज़हर फैलाने के लिए मुंह खोलने लगे हैं , उनसे हर वर्ग सतर्क सावधान रहे ।

    इंसान का इंसान से हो भाईचारा
    यही पैग़ाम हमारा


    मेरा कहना है -
    पाक-कलाम पढ़ेगा मोमिन , कभी शिवाले में जा'कर !
    कभी बिरहमन अल्लाह के घर भजन-वाणियां गाएगा !
    दूर किसी कोने में उस दिन
    शैतां जा' छुप जाएगा !
    इसी ज़मीं का ज़र्रा-ज़र्रा तब जन्नत बन जाएगा !
    …तब जन्नत बन जाएगा !!


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  15. हमारे देश में शांति हो
    सद्भावना बनी रहे

    सोच तो यही होनी चाहिये थी, निर्णय से पहले, उसके दौरान और उसके बाद।

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  16. हमने तो ये नज़्म अब पढ़ी....पर कामयाब रहा ,आपका ये लिखना...और पुकार सही कानों तक गयी...अमन-चैन कायम रहा...सुकून आ गया

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  17. बड़ा प्यारा सामयिक सन्देश दिया है आपने ...आज इसकी बेहद जरूरत है !
    हार्दिक शुभकामनाये

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  18. prashansa se otprot yahi kahna chahungi ki yah rachna vatvriksh ke liye bhejiye rasprabha@gmail.com per,
    parichay aur tasweer ke saath

    जवाब देंहटाएं

ख़ैरख़्वाहों के मुख़्लिस मशवरों का हमेशा इस्तक़्बाल है
शुक्रिया