आप सभी सुधिजनों को रंगों के इस पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं
अंतर्मंथन
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क्या सच होलिका दहन हुआ ?
क्या क्रोधाग्नि का शमन हुआ ?
या सच्चाई का दमन हुआ ?
और कर्तव्यों का हनन हुआ?
और कर्तव्यों का हनन हुआ?
पर्वत ,धरती ,जल और गगन
कितना सुंदर है मेरा चमन,
कौन आया है इस् में रावण ?
बगिया को मेरी रखे रहन
क्यों होती इक दूजे से जलन ?
क्यों भाई -भाई में अनबन ?
क्यों भूल गए हम भरत मिलन ?
क्या अब भी है धरती पावन ?
है कौन जो इन प्रश्नों को सुने ?
है कौन जो इन के उत्तर दे ?
अब अपने ही अन्दर झांकें
और अपनी सच्चाई आंकें
क्या हम ने सच्ची कोशिश की ?
नफ़रत हरने की ख़्वाहिश की ?
क्या हम ने प्यार की बारिश की ?
हां ,राजनीति ने साज़िश की
अब बातें मत तोड़ो मोड़ो ,
जो हुआ उसे पीछे छोड़ो ,
नफ़रत का हर धागा तोड़ो ,
बस ,रंगों से नाता जोड़ो
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होली के पावन अवसर पर लाजवाब प्रस्तुति , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकानायें ।
जवाब देंहटाएंBahut sunder bhavo kee abhivykti hai aapkee ye rachana.bahuuuutpasand aayee .
जवाब देंहटाएंमोहतरमा इस्मत साहिबा, आदाब
जवाब देंहटाएंक्या सच होलिका दहन हुआ....
क्या क्रोधाग्नि का शमन हुआ....
..............नफ़रत का हर धागा तोड़ो ,
बस ,रंगों से नाता जोड़ो.......
रंगों के इस पर्व पर एक चिंतन करने वाली रचना
सभी को होली की शुभकामनाएं..
बहुत सुन्दर कविता. होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंअब बातें मत तोड़ो मोड़ो ,
जवाब देंहटाएंजो हुआ उसे पीछे छोड़ो ,
नफ़रत का हर धागा तोड़ो ,
बस ,रंगों से नाता जोड़ो
बहुत अच्छा सन्देश दिया है
होली व ईद की हार्दिक शुभकामनायें
अब बातें मत तोड़ो मोड़ो ,
जवाब देंहटाएंजो हुआ उसे पीछे छोड़ो ,
नफ़रत का हर धागा तोड़ो ,
बस ,रंगों से नाता जोड़ो
सच्चा और सार्थक संदेश देती अच्छी रचना ...
आपको और समस्त परिवार को होली की शुभ-कामनाएँ .....
अब बातें मत तोड़ो मोड़ो ,
जवाब देंहटाएंजो हुआ उसे पीछे छोड़ो ,
नफ़रत का हर धागा तोड़ो ,
बस ,रंगों से नाता जोड़ो
बस इसी की जरूरत है और कुछ नही ।
होली पर बहुत बढिया कविता पोस्ट की है आपने ।
अब बातें मत तोड़ो मोड़ो ,
जवाब देंहटाएंजो हुआ उसे पीछे छोड़ो ,
नफ़रत का हर धागा तोड़ो ,
बस ,रंगों से नाता जोड़ो
zabardast ,nishabd kar diya hame to ......
holi ki bahut bahut shubhkaamnaaye
आप रोज़ ब रोज़ चकित कर रही हैं,,अपने कलाम से...हिंदी और उर्दू का ज्ञान आपके पास बराबर है.......बहुत ही अच्छी कविता..
जवाब देंहटाएंअच्छे भाव जगाती कविता.
जवाब देंहटाएं..होली की ढेर सारी बधाइयाँ.
"है कौन जो इन प्रश्नों को सुने ?
जवाब देंहटाएंहै कौन जो इन के उत्तर दे ?
अब अपने ही अन्दर झांकें
और अपनी सच्चाई आंकें..."
दिल की गहराईयों से निकली इक-इक बात
सीधी दिलों की गहराईयों तक पहुँचती हुई हर बात
यही है
आपकी इस पाकीज़ा नज़्म की ख़ासियत....
हमारे मुआशरे को हमारे समाज को
हमारे परिवेश को
ऐसे ही आह्वान की ज़रुरत है आज....
जज़्बा नेक और सच्चा है
ये नज़र आता है,,,
समझ आता है,,,
महसूस होता है
भगवान् से प्रार्थना है कि
आपसी भाईचारा बना रहे
इंसानियत बनी रहे ,,,ज़िंदा रहे ,,,,हमेशा ...
अस्तु ....!
ek ek sawal sateek
जवाब देंहटाएंbahut achchi kavita kahi hai aapne holi par
aapko bhi holi par hardik shubhkamanaayen
der se aane ke liye kshma chahti hun
इस्मत,
जवाब देंहटाएंमैंने तो खुद अपने लिए ही रूह को रंगनेवाले रंग मांगे थे, और तुमने तो पूरी आवाम को आवाज़ दे दी ! मेरी खुदगर्जी और तुम्हारी उदात्त भावना !!
होली पर रूह को जगानेवाली सार्थक रचना है, जो आत्म-विश्लेषण को प्रेरित करती है ! बधाई !!
भाई--आ.
बहुत खूब!
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