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सोमवार, 21 दिसंबर 2009

ग़ज़ल
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क्या कहूं कि क्या  बयां पहले हुआ
कुछ यहाँ और कुछ वहां पहले हुआ

मैं ने यकजहती की इक  कोशिश ही की
मेरा साथी बदगुमां पहले हुआ

थी सई जज़्बात पर क़ाबू रहे
पर वो आँखों से रवां पहले हुआ

दुश्मनों से क्या शिकायत हो अगर
दोस्त ही शोला बयां पहले हुआ

अब तो जन्नत दूर मुझ से हो गयी
"क्यों न एहसासे ज़ियाँ पहले हुआ "

जो छिपाना चाहता था उस से मैं
राज़ उस पर ही अयाँ पहले हुआ

मुल्क टुकड़ों में बँटा जाता है ये
ज़ख्म का दरमाँ कहाँ पहले हुआ ?

खौफ़ का माहौल हर सू है 'शेफ़ा'
हाथ में तीर ओ कमां पहले हुआ
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यकजहती=एकता , सई =कोशिश ,शोलाबयाँ =नाराज़
ज़ियाँ =हानि, अयाँ =प्रकट ,दरमाँ =इलाज
खौफ़ =डर

10 टिप्‍पणियां:

  1. थी सई जज़्बात पर क़ाबू रहे
    पर वो आँखों से रवां पहले हुआ

    दुश्मनों से क्या शिकायत हो अगर
    दोस्त ही शोला बयां पहले हुआ

    हर शे’र लाजवाब, हर लफ़्ज़ पे दिल बाग-बाग हुआ...

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  2. वाह, बहुत खूब इस्मत साहिबा,
    इस बार तो हमारे लिये कुछ कहने की गुंजाइश ही नहीं रही.
    इस एक शेर में-
    मैं ने यकजहती की इक कोशिश जो की
    मेरा साथी बदगुमां पहले हुआ
    समाज के हालात समेट कर रख दिये आपने..
    और ये-
    दुश्मनों से क्या शिकायत हो अगर
    दोस्त ही शोला बयां पहले हुआ..
    हमें अपना एक शेर याद दिला गया
    अर्ज़ है-
    खंज़र था किसके हाथ में ये तो पता नहीं
    हां,दोस्त की तरफ से मैं ग़ाफिल ज़रूर था.
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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  3. बहुत खूब !

    अब तो जन्नत दूर मुझ से हो गयी
    "क्यों न एहसासे ज़ियाँ पहले हुआ "

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  4. *ajay ji bahut bahut shukriya
    *vandana,shukriya protsahit karne ke liye
    *shahid sahab,apka sher bahut umda hai ,aur apki tippani ka andaz bhi
    *shkriya arkjesh ji

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  5. खौफ़ का माहौल हर सू है 'शेफ़ा'

    हाथ में तीर ओ कमां पहले हुआ
    har sher yahan bahut khoob hua ,
    kavayanjali par tumahara intjaar khoob hua ,magar aana abhi tak nahi hua ,apne jab tak rai na de rachna saarthak nahi hoti ,aur kami jo samjhaye to sudhar me sahayak hogi ,itna behtar to nahi likh sakti ,kalam jahan tak chahti chal rahi saath saath ....doston ki khushiyon ki khatir chal diye in rahon par ,achchha hi hoga ye khyaal liye kahi .

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  6. ांअपके ब्लाग का आज लिन्क मिला। बहुत देर से ही सही मगर गज़ल के लिये सही जगह पर आयी हूँ। गज़ल की ए बी सी सीख रही हूँ तो दिग्ग्ज़ों के पढने का सुभाग्य मिल रहा है। लाजवाब गज़ल है हर एक शेर काबिले तारीफ है धन्यवाद नये साल की मुबारकवाद्

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  7. jyoti ji ,dhanyavad main yahan nahin thi ,ab a gayi hoon to kavyanjali par bhi zaroor aoongi
    *nirmala ji saubhagya to mera hai jo ap jaisi sahityakar ki tippani mujhe mili bahut bahut shukriya lekin main apko batana chahti hoon ki main diggajon ki shreni men nahin ati abhi to sahi tarah se akshron ki pahchan bhi nahin hui hai

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  8. थी सई जज़्बात पर क़ाबू रहे
    पर वो आँखों से रवां पहले हुआ

    लाजवाब शेर...तारीफ़ की हदों के बहुत बाहर...
    नीरज

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  9. अच्छे शेर हैं।
    ये वाला खासकर:
    दुश्मनों से क्या शिकायत हो अगर
    दोस्त ही शोला बयां पहले हुआ

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ख़ैरख़्वाहों के मुख़्लिस मशवरों का हमेशा इस्तक़्बाल है
शुक्रिया