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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

राहे उम्मीद



"राहे उम्मीद "

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आज इक काया उठी है ले के गाँधी का मिशन 
आज के कंसों के समक्ष आ गया फिर इक किशन
इतने वर्षों से था भ्रष्टाचारियों से तंग समाज
चल रहा था यूं अनैतिक कार्यों का गुंडा राज 
जब उठी आवाज़ कोई शोषितों की मान से 
या तो रिश्वत ने दबाया या गई वो जान से 
पापी गर जेलों तक आए साफ़ सुथरे छुट गए 
पीड़ितों की थी वही हालत बेचारे लुट गए
कोई तरसा इल्म को ,कोई रहा नन्गे बदन 
कोई पानी की कमी से त्रस्त कोई बेकफ़न
आज इन हालात के मद्दे नज़र जर्जर शरीर
उठ गया गाँधी के आदर्शों को ले कर वो फ़क़ीर 
आन्दोलन वो जो चिंगारी से शोला बन गया
हाथ इक दूजे का थामे एक रेला बन गया
ये मिशन प्रतिरोध है बस सिर्फ़ भ्रष्टाचार का
ये मिशन प्रतिरोध है दुखियों के हाहाकार का
ये विरोधी झूठ ,भ्रष्टाचार के , दुष्कर्म के,
ये जिहादी उठ चुके हैं वास्ते सत्कर्म के
ये नहीं शत्रु किसी भी पार्टी या नाम के 
ये विरोधी हैं हमेशा हर अनैतिक काम के 
हैं ये भ्रष्टाचार के वाहक जो अफ़सर देश के
हो कोई भी दल कि बिक जाते हैं रहबर देश के
किस समय की कर रहे हो तुम प्रतीक्षा ये कहो
भंग करना शांति का, लक्ष्य हो तो फिर कहो 
जाग जाओ जल्द वर्ना फिर हैं ये राहें कठिन
क्षीणकाय जान का बल सत्य है ,दौलत न धन
हैं सभी इक साथ कोई अब यहां जाति न धर्म
दुख सभी के एक हैं,आहत सभी के आज मर्म
हाथ में बस हाथ दे कर है ये जनता उस के साथ
मान लो तुम माँग इन की चाहो गर भारत का हाथ 

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इसे पोस्ट करते करते ये समाचार मिला कि सत्य की फिर जीत हुई 
जय हिन्द