tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post8075746956201065205..comments2023-07-06T18:51:05.270+05:30Comments on शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : दुआइस्मत ज़ैदीhttp://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-224961837874367262010-09-04T17:37:52.989+05:302010-09-04T17:37:52.989+05:30उतना जानता तो नहीं आपको लेकिन पहली टिप्पणी से सहमत...उतना जानता तो नहीं आपको लेकिन पहली टिप्पणी से सहमत! बहुत सुन्दर!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-74123481651266342192010-08-25T02:37:12.644+05:302010-08-25T02:37:12.644+05:30ye kalam padh kar shayra / shayar ki umr kafi buzu...ye kalam padh kar shayra / shayar ki umr kafi buzurgi ki lagti hai aisi pukhta nazm kehne ke liye ek taweel umr ka tajirba hona darkar hai jitna aapko padh raha hun utni hairat aur khushi ho rahi hai<br />aadil rasheedaadilrasheedhttps://www.blogger.com/profile/08416561394335944552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-31451552089694064832010-06-18T12:21:44.444+05:302010-06-18T12:21:44.444+05:30عزیزی عصمت۔ دعائیں۔
آپ کو خدا نے بے پناہ تخلیقی صل...عزیزی عصمت۔ دعائیں۔<br />آپ کو خدا نے بے پناہ تخلیقی صلاحیتیں عطا کی ہیں۔اچھے اور معیاری ادب کا مطالعہ کرتی رہیں۔آپ کی فکر کے جوہر کھلیں گے۔کیا آپ کا تعلق جونپور کے کج گاؤں سے ہے؟۔وہاں بہت پہلے میں نے محفلوں میں شرکت کی ہے۔خدا آپ کو کامیابیاں عطا کرے۔ آمین۔युग-विमर्शhttps://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-39901245993032391292010-06-11T00:18:06.402+05:302010-06-11T00:18:06.402+05:30कमाल कि रचना है! बेहतरीन!कमाल कि रचना है! बेहतरीन!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-14792553860638476432010-06-10T23:41:13.272+05:302010-06-10T23:41:13.272+05:30दुआ है आपको ऐसी ही तौफ़ीक मिले ....
बहुत ही अच्छी ...दुआ है आपको ऐसी ही तौफ़ीक मिले ....<br /><br />बहुत ही अच्छी नज़्म ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-58872704275247523982010-06-10T16:44:58.152+05:302010-06-10T16:44:58.152+05:30खुदा इस दुआ को कबूल करे आमीन! हम सब की दुआ है..मुद...खुदा इस दुआ को कबूल करे आमीन! हम सब की दुआ है..मुद्दत बाद आया हूँ..फिर महफ़िल में...<br /><br />फुर्सत मिले तो हमज़बान पर शाया रंजना जी की कविताओं पर नज़र सानी की जाए.شہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-24826504825817494612010-06-09T10:41:14.837+05:302010-06-09T10:41:14.837+05:30एक खूबसूरत दिल से निकली यह दुआ क़ुबूल न हो यह कैसे...एक खूबसूरत दिल से निकली यह दुआ क़ुबूल न हो यह कैसे हो सकता है ? काश ऐसे भाव मैं लिख पाता ...लगा कि आपने मेरे दिल की बात छीन ली ! हार्दिक शुभकामनायें !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-13941882554940471472010-06-09T05:39:23.344+05:302010-06-09T05:39:23.344+05:30मोहतरमा इस्मत ज़ैदी साहिबा
पहली मर्तबा आपके यहां आ...मोहतरमा इस्मत ज़ैदी साहिबा <br />पहली मर्तबा आपके यहां आया हूं , और आइंदा बार-बार आना पड़ेगा , यह तय है ।<br />इतनी ख़ूबसूरती से की गई दुआ कब की क़बूल हो चुकी , इसमें शक नहीं ।<br />आपकी ग़ज़ल भी पढ़ी …<br />आपके दूसए ब्लॉग पर सलाम और ना'त भी ,<br />अभी इतना ही कहूंगा कि अब तक आपके यहां नहीं आ पाने के कारण कितना कुछ खोया है मैंने । भरपाई की कोशिश रहेगी …<br />आपकी क़लम बिलाशुब्हा मुबारकबाद की मुस्तहक़ है<br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com" rel="nofollow">शस्वरं</a></b>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-31767108307714426222010-06-09T03:45:38.764+05:302010-06-09T03:45:38.764+05:30मेरे अल्लाह मुझ को ,
दौलत ओ ज़र की नहीं ख़्वाहिश,
...मेरे अल्लाह मुझ को ,<br />दौलत ओ ज़र की नहीं ख़्वाहिश,<br />नहीं अरमान मुझ को<br />रुत्ब ए आली के पाने का<br />अता कर ऐसी दौलत<br />जिस के ज़रिये, मैं<br />तेरे बंदों के काम आऊं<br />मुझे ज़रिया बना कर<br />उन के अरमानों को पूरा कर<br />करम ये मुझ पे तू कर दे<br />मुझे तौफ़ीक़ ऐसी दे<br />कि तेरी राह पर चल कर<br />मैं मंज़िल तक पहुंच पाऊं<br /><br />आप ने तो सब के लिये मांग लिया बस हम "आमीन" कह्ते हैं.<br /><br />और नज़्म के लिये आप को मुबारक बाद पेश करते हैं ,क़ुबूल किजिये .Dr.Ajmal Khanhttps://www.blogger.com/profile/13002425821452146623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-12565493538601190272010-06-08T19:33:49.665+05:302010-06-08T19:33:49.665+05:30bahut khoob.....bahut khoob.....प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-34172038654492056492010-06-08T16:05:02.771+05:302010-06-08T16:05:02.771+05:30Kya gazab likha hai..yaad aa gayi wo dua.." L...Kya gazab likha hai..yaad aa gayi wo dua.." Lab pe aati hai dua ban ke tamanna meri..."<br />Mai aapki follower hun,par mujhe ittela nahi mil rahi..na jane kyon?<br />Vandana ka comment padhne ke baad aap se milne kaa bahut armaan ho raha hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-35854025259222496252010-06-08T15:37:36.905+05:302010-06-08T15:37:36.905+05:30बेहतरीन नज़्म ..बेहतरीन नज़्म ..स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-10045996781616252732010-06-08T07:45:43.351+05:302010-06-08T07:45:43.351+05:30आपका नाम पढ़ा तो आपकी 'दुआ' याद आ गई..फिर ...आपका नाम पढ़ा तो आपकी 'दुआ' याद आ गई..फिर आ गया पढ़ने के लिए..<br />..अता कर ऐसी दौलत<br />जिस के ज़रिये, मैं<br />तेरे बंदों के काम आऊं<br />मुझे ज़रिया बना कर<br />उन के अरमानों को पूरा कर<br />करम ये मुझ पे तू कर दे<br />मुझे तौफ़ीक़ ऐसी दे<br />कि तेरी राह पर चल कर<br />मैं मंज़िल तक पहुंच पाऊं.<br /><br />...आमीन.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-43800819910051758072010-06-07T11:03:44.174+05:302010-06-07T11:03:44.174+05:30अता कर ऐसी दौलत
जिस के ज़रिये, मैं
तेरे बंदों के क...अता कर ऐसी दौलत<br />जिस के ज़रिये, मैं<br />तेरे बंदों के काम आऊं<br />मुझे ज़रिया बना कर<br />उन के अरमानों को पूरा कर<br /><br />इस्मत जी आपकी इन पंक्तियों में ज़ाहिर आपकी सोच को पढ़ कर मेरा सर आपकी शान में झुक गया है...सुभान अल्लाह...बेहतरीन नज़्म कही है आपने...आपको तहे दिल से दाद देता हूँ...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-37614880909808480432010-06-07T01:39:00.776+05:302010-06-07T01:39:00.776+05:30बहुत बहुत शुक्रिया इस्मत साहिबा ,
...बहुत बहुत शुक्रिया इस्मत साहिबा ,<br /> ग़ज़ल पर जिस तरीक़े से आप दाद देती हैं वो क़ाबिले -तारीफ़ है .<br /> और आपके 'सलाम' को तो ....................................सदहा सलाम <br /><br />आपकी ग़ज़ल --'-है भी नहीं भी '------------सुब्हानअल्लाह <br />और नज़्म --------------------------------- -माशाअल्लाह <br /> आमीन ----[ ये नज़्म लिखने वाले और पढ़ने वालों के लिए भी ]लता 'हया'https://www.blogger.com/profile/10512517381147885252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-71740898347141579152010-06-05T09:02:22.870+05:302010-06-05T09:02:22.870+05:30मैं न तंज़ कर रहा हूँ, न ही बहुत बढ़ा चढ़ा कर कुछ ...मैं न तंज़ कर रहा हूँ, न ही बहुत बढ़ा चढ़ा कर कुछ कहने की कोशिश में हूँ लेकिन इतना जरूर कहूँगा इस दुआइया नज़्म ने शायरे मशरिक अल्लामा इकबाल की याद दिला दी. <br />यह सिर्फ आपकी कोशिशों और मेहनत का असर है. मुबारक.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-78324578845877443662010-06-04T16:24:32.795+05:302010-06-04T16:24:32.795+05:30aamin .......dua kabool ho...aamin .......dua kabool ho...ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-56444851523849975392010-06-02T01:17:32.818+05:302010-06-02T01:17:32.818+05:30AAPKEE SADBHAVNA NE MUN KO SPARSH
KAR LIYAA HAI.BA...AAPKEE SADBHAVNA NE MUN KO SPARSH<br />KAR LIYAA HAI.BADHAAEE.PRAN SHARMAhttp://mahavirsharma.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-72125154578132185172010-05-31T19:42:50.294+05:302010-05-31T19:42:50.294+05:30मुझे ज़रिया बना कर
उन के अरमानों को पूरा कर
करम ये...मुझे ज़रिया बना कर<br />उन के अरमानों को पूरा कर<br />करम ये मुझ पे तू कर दे<br />मुझे तौफ़ीक़ ऐसी दे<br />कि तेरी राह पर चल कर<br />मैं मंज़िल तक पहुंच पाऊं<br /><br />aameenश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-75090748164716018082010-05-30T21:06:57.874+05:302010-05-30T21:06:57.874+05:30...आमीन.
शानदार नज्म.. पढ़कर कुछ शांति मिली.
..आभ......आमीन.<br /><br />शानदार नज्म.. पढ़कर कुछ शांति मिली.<br />..आभार.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-60836947152198125422010-05-30T20:30:09.405+05:302010-05-30T20:30:09.405+05:30"करम ये मुझ पे तू कर दे
मुझे तौफ़ीक़ ऐसी दे
..."करम ये मुझ पे तू कर दे<br /> मुझे तौफ़ीक़ ऐसी दे<br /> कि तेरी राह पर चल कर<br /> मैं मंज़िल तक पहुंच पाऊं"<br /><br />भारतीय काव्य में प्रार्थना की परम्परा , इंसानियत का जज़्बा<br />और पारस्परिक सद्भाव का प्रवाह... <br />अभी भी अपना विशेष प्रभाव बनाए हुए हैं.. ये कहावत <br />आपकी इस नज़्म को पढ़ कर सच लग रही है<br /><br />"जिसे अपना कहा मैंने<br /> उसे अपना बना भी लूं ,<br /> मैं उस के सारे ग़म ले कर ,<br /> उसे ख़ुशियां ही ख़ुशियां दूं ,...."<br /><br />अन्दर के एक बिंदु-विशेष से होती हुई, रचना<br />बाहर के चिंतन-विशेष को भी खुद में समोए हुए है<br />आपने अपने आध्यात्मिक अनुभवों को सादगी से लेकिन<br />गहराई से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है ,, जो सराहनीय है .<br />चयनित विषय का पर्याप्त अध्ययन भी <br />नज़्म में झलक रहा है .<br />बधाई स्वीकारें .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-73647751095940983942010-05-30T16:34:49.400+05:302010-05-30T16:34:49.400+05:30इसे पढकर तो यही कहना पड़ा कि कहना नहीं होगा, कि तु...इसे पढकर तो यही कहना पड़ा कि कहना नहीं होगा, कि तुम्हारा पद्य की हर विधा पर कमाल का अधिकार है!!!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-49302447284023456242010-05-30T15:07:18.722+05:302010-05-30T15:07:18.722+05:30मेरे मा’बूद मुझ को ,
ऐसी नज़रें तू अता कर दे
कि जब...मेरे मा’बूद मुझ को ,<br />ऐसी नज़रें तू अता कर दे<br />कि जब भी आंख ये उठे ,<br />ख़ुलूस ओ प्यार ही छलके ,<br />जिसे अपना कहा मैंने<br />उसे अपना बना भी लूं ,<br />मैं उस के सारे ग़म ले कर ,<br />उसे ख़ुशियां ही ख़ुशियां दूं ,<br /><br />आमीन!!खुदाएबरतर आमीन!!!<br />मुहब्बत और खुलूस की तमाम प्रार्थनाएं कुबूल हों।kumar zahidhttps://www.blogger.com/profile/16434201158711856377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-54589070171155597442010-05-30T14:28:00.116+05:302010-05-30T14:28:00.116+05:30मेरे अल्लाह मुझ को ,
दौलत ओ ज़र की नहीं ख़्वाहिश,
...मेरे अल्लाह मुझ को ,<br />दौलत ओ ज़र की नहीं ख़्वाहिश,<br />नहीं अरमान मुझ को<br />रुत्ब ए आली के पाने का<br />अता कर ऐसी दौलत<br />जिस के ज़रिये, मैं<br />तेरे बंदों के काम आऊं ...<br /><br />इस्मत जी ... बहुत ही दिलकश नज़्म है ... आपकी दुआ में असर हो .. खुदा ऐसी नेमत सबको बक्शे .... <br />आप कामयाब है नज़्म लिखने में बहुत ही ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-36593585149789608572010-05-30T08:33:17.854+05:302010-05-30T08:33:17.854+05:30नज़्म की खूबसूरती..
नज़्म की बुनावट से ...ख्यालों ...नज़्म की खूबसूरती..<br />नज़्म की बुनावट से ...ख्यालों से इस क़दर बढ़ गयी है कि ...हाथ खुद ब खुद उठ रहे हैं..<br />आपकी दुआ में शामिल होने के लिए...<br /><br /><br /><br />मुझे तौफ़ीक़ ऐसी दे<br />कि तेरी राह पर चल कर<br />मैं मंज़िल तक पहुंच पाऊं....<br /><br /><br />सिर्फ एक लाइन याद आ रही है..फैज़ साहिब की...<br /><br /><br />"आइये, हाथ उठाएं हम भी...."manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.com