tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post6536882544215265211..comments2023-07-06T18:51:05.270+05:30Comments on शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : इस्मत ज़ैदीhttp://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-20209111753760547242010-09-04T18:18:30.077+05:302010-09-04T18:18:30.077+05:30कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,
बस इक यक़...<b>कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,<br />बस इक यक़ीन ले लो और इक यक़ीन दे दो</b><br />बहुत उम्दा शेर।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-33644092142148101652010-06-07T12:22:33.892+05:302010-06-07T12:22:33.892+05:30अब बुग्ज़ और कीना, दिल से निकाल फेंको,
ये चाल है ...अब बुग्ज़ और कीना, दिल से निकाल फेंको, <br />ये चाल है सियासी, तुम इनको मात दे दो<br /><br />बहुत खूबसूरत बात कही है आप ने वाह...उर्दू ज़बान का पूरा लुत्फ़ आता है आपकी शायरी में...हमें तो ये ज़बान आती नहीं लेकिन तहे दिल से पसंद है इसलिए ना सिर्फ आपकी ग़ज़लों के शेर पढ़ते हैं बल्कि इस ज़बान के हमारे लिए नए लफ़्ज़ों का जम कर मज़ा भी लेते हैं...नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-38157524789613950342010-02-14T23:43:18.492+05:302010-02-14T23:43:18.492+05:30आपकी उम्मीद जरुर रंग लाये, इसी कामना में हम भी शाम...आपकी उम्मीद जरुर रंग लाये, इसी कामना में हम भी शामिल हैं मैम।<br /><br />देर से आ रहा हूँ। पहले ही पढ़ ली थी आपकी ये दिल को छूने वाली रचना, उस वक्त कुछ लिख नहीं पाया था।<br /><br />बहुत अच्छा लिखा है आपने।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-22334203606755605692010-02-14T22:14:13.894+05:302010-02-14T22:14:13.894+05:30इस मादरे वतन के ज़ख्मों को मत कुरेदो ,
जो दे सको त...इस मादरे वतन के ज़ख्मों को मत कुरेदो ,<br />जो दे सको तो इस को मरहम ज़रूर दे दो . <br /> <br />बात महज़ चन्द लफ़्ज़ों की नहीं है,,,<br />इन पाकीज़ा सतरों में जो जज़्बा-ए-फ़िक्र पोशीदा है<br />वो क़ाबिल-ए-ग़ौर है.... <br />अपनी धरती और उस धरती के <br />अपने ही बाशिंदों के सुख-दुःख को <br />अपनी रचनाओं में जगह दे पाना <br />सच-मुच जोखिम भरा काम समझा जाता है <br />(जैसा सतीश जी ने कहा भी है)<br />लेकिन आपने इस भरम को तोड़ दिखाया है <br />आपके नेक ख़यालात <br />नज़्म के एक-एक लफ्ज़ को <br />जिंदगी बख्श रहे हैं...<br /><br />"कुछ तुम भी भूल जाओ ,<br /> कुछ हम भी भूल जाएँ ,<br /> बस इक यक़ीन ले लो <br /> और इक यक़ीन दे दो ."<br /><br />हाँ ! ज़रुरत है.....<br />ऐसे मुक़द्दस जज़्बे की ज़रुरत है . . . <br /><br />मैं... <br />सभी ब्लोगर्स को साथ लेते हुए...<br />सलाम कहता हूँ आपको .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-7350268956737053422010-02-09T20:27:08.991+05:302010-02-09T20:27:08.991+05:30कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,
बस इक यक़...कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,<br />बस इक यक़ीन ले लो और इक यक़ीन दे दो .<br /><br />Ameen hai <br />har dil ki khwahish yahi hai<br />sab taraf aman ho <br />insaniyat hi ek dharm hoश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-736729031883541662010-02-09T17:24:21.010+05:302010-02-09T17:24:21.010+05:30जैदी साहब
जब बात आश्ती की, अम्नो अमां की आये ,
ब...जैदी साहब <br /><br />जब बात आश्ती की, अम्नो अमां की आये ,<br />बस मुस्कुराहटें ही इक दूसरे को दे दो .<br />अब बुग्ज़ और कीना, दिल से निकाल फेंको, <br />ये चाल है सियासी, तुम इनको मात दे दो .<br /><br />क्या ग़ज़ब के शेर कहे हैं आपने...सुभान अल्लाह...इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल फरमाएं...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-11509765846095142782010-02-08T17:15:06.790+05:302010-02-08T17:15:06.790+05:30कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,बस इक यक़ी...कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,बस इक यक़ीन ले लो और इक यक़ीन दे दो .<br />wah bahut khoob hai tumhari baate ,man mitha mera ho gaya .tumse baate karke bahut khushi hui bayan kaise kare isi khyal me lipte hai .kholte hi yahi aai tumahre shabd gunj rahe the .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-90886064647770390402010-02-08T16:27:09.745+05:302010-02-08T16:27:09.745+05:30बहुत उम्दाह है .... Nadeemबहुत उम्दाह है .... NadeemNadeem Zaidihttps://www.blogger.com/profile/18054952010339897021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-32676924424640865862010-02-06T17:25:41.126+05:302010-02-06T17:25:41.126+05:30बस इक यक़ीन ले लो और इक यक़ीन दे दो
पूरी नज्म जिस...बस इक यक़ीन ले लो और इक यक़ीन दे दो<br /><br />पूरी नज्म जिस एहसास और जज्बे के साथ कही गयी है, उसकी तारीफ न की जाए तो कुफ्र होगा. इस दौर के लिए ऐसी ही नज्मों की ज़रूरत है. <br />आप अच्छा नहीं, बहुत अच्छा कह रही हैं और बहुतों से बेहतर कह रही हैं. मेरी दुआएं हमेशा आपके साथ हैं.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-16295695632313942662010-02-06T08:55:07.796+05:302010-02-06T08:55:07.796+05:30दिगंबर जी ,अर्कजेश जी ,वर्मा जी ,शाहिद साहब और वंद...दिगंबर जी ,अर्कजेश जी ,वर्मा जी ,शाहिद साहब और वंदना आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया ,आपकी यहाँ मौजूदगी इस बात को दर्शाती है कि अप लोग मुझ से इत्तेफाक रखते हैं ,आपलोगों कि सराहना और प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ .इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-80118408088342169962010-02-06T08:41:59.857+05:302010-02-06T08:41:59.857+05:30अफ़सोस यही है कि तमाशबीन खड़े होकर तमाशा ही देखते ...अफ़सोस यही है कि तमाशबीन खड़े होकर तमाशा ही देखते है, कोई मदद का हाथ नहीं बढाता ! जाने माने लोग इस विषय पर लिखते हुए भी घबराते हैं ! अपनी जिम्मेवारियों से भागते यह लोग. अपने आपको इस देश का सच्चा सपूत भी मानते हैं ! <br />अगर यह स्थिति नहीं सुलझी तो मराठी मानस के बाद मुंबई मानस और बाद में दादर मानस भी पैदा होंगे और यह सब इस आधुनिक भारत में हो रहा है ! <br />परस्पर एक दुसरे का हाथ पकड़ने का समय है अब ,हमें साथ रहते हुए हर हाल में एक दूसरे से प्यार करना सीखना ही होगा ! <br /><br />आप जैसे लिखने वालों कि बेहद जरूरत है देश को ,कोई प्रत्साहन दे या न दे, देश को जोड़ने और भीड़ को प्यार सिखाने का प्रयत्न हमें करना ही चाहिए सिर्फ और सिर्फ तब ही हमारी अगली पीढ़ियों का कुछ भला होगा !!<br /><br />शुभकामनायें !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-12829696113381980592010-02-06T00:18:17.428+05:302010-02-06T00:18:17.428+05:30मोहतरमा इस्मत साहिबा, आदाब
इस मुल्क की सबसे बड़ी ज़र...मोहतरमा इस्मत साहिबा, आदाब<br />इस मुल्क की सबसे बड़ी ज़रूरत आपसी भाईचारा है, लेकिन इस अहम सवाल पर कहीं चर्चा नहीं हो रही है. जिन सियासी रहनुमाओं को कोशिश करनी चाहिये, उन्हें ’बांटने’ से फ़ुरसत नहीं है. चलिये जज़्बात पर नई ग़ज़ल इसी मोजू पर होगी<br />अब मादरे वतन के ज़ख्मों को मत कुरेदो ,<br />जो दे सको तो इस को मरहम ज़रूर दे दो...<br />बस मतला ही सब कुछ बयान कर रहा है..<br />हर शेर में दर्स है, देखें कितने लोग असर लेते हैं???शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-37975804291642181982010-02-05T18:00:32.239+05:302010-02-05T18:00:32.239+05:30इस मादरे वतन के ज़ख्मों को मत कुरेदो ,
सुन्दर आह्व...इस मादरे वतन के ज़ख्मों को मत कुरेदो ,<br />सुन्दर आह्वान और सुन्दर रचनाM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-36247599619463158812010-02-05T17:40:05.776+05:302010-02-05T17:40:05.776+05:30कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,बस इक यक़ी...कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,बस इक यक़ीन ले लो और इक यक़ीन दे दो <br />तुम्हारे इस जज़्बे को सलाम. हर वक्त तुम्हारे साथ हूं, उम्मीद की लौ को तो तेज़ होकर चारों ओर रौशनी फैलानी ही होगी. बस हमें इसी लगन से कोशिशें करते रहना है.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-52065110379198188862010-02-05T17:26:22.679+05:302010-02-05T17:26:22.679+05:30बहुत खूब । यह जज्बा हर दिल में है । इसे जाहिर करन...बहुत खूब । यह जज्बा हर दिल में है । इसे जाहिर करना और दूसरों तक पहुंचाने के प्रयास का हम स्वागत करतें हैं । <br /><br />चलो,<br />फसादियों को निराश कर दें<br />और 'मनुष्य' के आगे-पीछे बिना कोई<br />शब्द लगाये उसे बचाये रखें !<br /><br />आमीन !अर्कजेशhttp://arkjesh.blogspot.com/2010/02/blog-post.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-34937094832402528922010-02-05T16:15:35.083+05:302010-02-05T16:15:35.083+05:30कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,
बस इक यक़...कुछ तुम भी भूल जाओ ,कुछ हम भी भूल जाएँ ,<br />बस इक यक़ीन ले लो और इक यक़ीन दे दो .<br /><br />आमीन .......... बीती ताही बिसार ले ......... कितना सच, कितना कुछ कहा है आपने इस रचना में .......... काश इंसानियत के धर्म को सब अपना पहला धर्म मान सकें .........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com