tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post5903925238038776252..comments2023-07-06T18:51:05.270+05:30Comments on शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : माँइस्मत ज़ैदीhttp://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-74502960036815076932011-01-17T17:52:26.538+05:302011-01-17T17:52:26.538+05:30आपा, बहुत अच्छा लिखा है आपने.सच में बजुर्गों की ब...आपा, बहुत अच्छा लिखा है आपने.सच में बजुर्गों की बड़ी दयनीय स्तिथि है.ये वक्त हम पर भी आनेवाला है.हम हिन्दुओं में श्राद्ध किये जाते हैं.मरे हुए लोगों के श्राद्ध.मैं कहता हूँ की जिंदा बजुर्गों के श्राद्ध करो भाई. औरों को खिलाने की बजाये पंद्रह दिन अपने जिंदा बजुर्गों की सेवा कर लो.बड़ा सवाब होगा. हार्दिक शुभ कामनाएं आपकी कलम को.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-8805161132908134252011-01-15T13:09:41.537+05:302011-01-15T13:09:41.537+05:30इस्मत जी,
माँ के दर्द को हर एक अल्फ़ाज बयाँ करता ह...इस्मत जी,<br /><br />माँ के दर्द को हर एक अल्फ़ाज बयाँ करता है....<br /><br />आपकी गज़ल अभी सुबीर संवाद सेवा पर पढ़ने को मिली नये साल के तरही मुशायरे में बस कायल हो गया ।<br /><br />सादर,<br /><br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-75104778546914697972011-01-14T21:34:35.491+05:302011-01-14T21:34:35.491+05:30ज्यादातर जानते हैं पर मानते नहीं - मार्मिक तथा प्र...ज्यादातर जानते हैं पर मानते नहीं - मार्मिक तथा प्रेरक रचना - आभारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-43017167976552121772011-01-14T03:41:11.794+05:302011-01-14T03:41:11.794+05:30रचना पूरी नहीं पढ़ पाया, इसके लिए क्षमा चाहता हूं।...रचना पूरी नहीं पढ़ पाया, इसके लिए क्षमा चाहता हूं। जाने कितनी आंखे याद हो आती हैं। रोज कई चेहरे गुजरते हैं जिनमें आशाएं होती हैं....जिनमें उम्मीदें होती हैं। कई बार अपने से शर्मिंदगी भी कि हम अपने व्यस्त समय के कारण घर में ही मां-बाप को समय नहीं दे पाते। कई बार लगता है कि ऐसी व्यस्तता को गोली मार दें। पर क्या करें, जिंदगी कुछ करते रहने का नाम है, जिदंगी के लिए कुछ करना भी पड़ता है। सो जितना समय होता है उतना निकालने की कोशिश कर लेता हूं। थोड़ा झगड़ लेता हूं, थोड़ी डांट खा लेता हूं, ताकि पिता-माता का मन लगा रहे।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-84994425431490101232011-01-13T14:51:01.728+05:302011-01-13T14:51:01.728+05:30बहुत ही खूबसूरत रचना.. नव-वर्ष की बधाई आपको भी..
...बहुत ही खूबसूरत रचना.. नव-वर्ष की बधाई आपको भी..<br /><br />मैंने भी एक लघु-कथा लिखी थी.. कुछ मिलती-जुलती.. पढियेगा और बताइयेगा कि कैसा लगी..<br />http://bitspratik.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html<br /><br />आभारPratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-13313408965490236462011-01-12T12:03:36.917+05:302011-01-12T12:03:36.917+05:30आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया कि आप लोगों ने अपना अ...आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया कि आप लोगों ने अपना अमूल्य समय इस ब्लॉग को दिया <br />इसी तरह अपना स्नेह और सहयोग बनाए रखें<br />धन्यवाद !इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-62111720257706613932011-01-10T17:25:58.850+05:302011-01-10T17:25:58.850+05:30जीवन के यथार्थ को बयां करती नज्म।
नव वर्ष की हार...जीवन के यथार्थ को बयां करती नज्म।<br /><br />नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।<br /><br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">पति को वश में करने का उपाय। </a> <br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-44732375985832304322011-01-09T09:03:07.292+05:302011-01-09T09:03:07.292+05:30"माँ" से शुरुआत है और मरते वक़्त भी "..."माँ" से शुरुआत है और मरते वक़्त भी "माँ" ही शब्द पर ज़ुबान रुक जाती है। भावविभोर कर देनेवाली रचना।रज़िया "राज़"https://www.blogger.com/profile/12190998804214272758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-60391214007009274672011-01-07T12:47:51.505+05:302011-01-07T12:47:51.505+05:30marmsprshi rachna
aankhe nam ho gyi
bahut sahi ka...marmsprshi rachna <br />aankhe nam ho gyi<br />bahut sahi kaha aapne<br /><br />nav varse ki hardik subhkamnaye<br /><br />kabhi yaha bhi aaye<br />www.deepti09sharma.blogspot.comdeepti sharmahttps://www.blogger.com/profile/10113945456813271746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-20951721228211677132011-01-07T11:12:55.068+05:302011-01-07T11:12:55.068+05:30कविता ह्रदय द्रवित कर गयी . और काफी कुछ सोचने को म...कविता ह्रदय द्रवित कर गयी . और काफी कुछ सोचने को मजबूर भी . आभारashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-69726629571629033122011-01-05T21:51:45.150+05:302011-01-05T21:51:45.150+05:30आपकी रचना पढ़ कर आँखें नम हो गयीं हैं...क्यूँ हम अ...आपकी रचना पढ़ कर आँखें नम हो गयीं हैं...क्यूँ हम अपने लाचार माँ-बाप को अपने स्वार्थ के कारण असहाय और अकेला छोड़ देते हैं...क्यूँ नहीं सोचते के उनके दिल पर क्या बीतेगी...लानत है ऐसे बेटे बेटियों पर जिन्हें अपना सुख माँ को दुःख से अधिक प्यारा है...कहाँ हैं हमारी संवेदनाएं?<br /><br />नीरज जी की टिपण्णी ने सब कुछ कह दिया ....और कहने को क्या रह गया .....<br />आपको इस लेखनी पर नमन ....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-849811205750772232011-01-04T15:39:33.482+05:302011-01-04T15:39:33.482+05:30दर्द लपेटे नज़्म ये कई पलों तक कुरेदती रही है मन की...दर्द लपेटे नज़्म ये कई पलों तक कुरेदती रही है मन की परतों को। ...और पढ़ने के तुरत बाद अनायास ही गाँव फोन लगाया माँ को। वो पूजा पर बैठी हुई हैं तो पापा से बात हो पायी...उनको ही सुना डाला ये पूरी की पूरी।<br /><br />खूबसूरत...बहुत खूबसूरत मैम!गौतम राजरिशीhttp://gautamrajrishi.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-15059975109681757322011-01-03T16:48:13.324+05:302011-01-03T16:48:13.324+05:30इस्मत जी,
पूरी कविता पढना भारी पड़ रहा था.....मुश्क...इस्मत जी,<br />पूरी कविता पढना भारी पड़ रहा था.....मुश्किल से पढ़ी.<br />कितनी बार ऐसे ही विचार मन में आते हैं...एक दिन तो सबको इस दौर से गुजरना है ,यह क्यूँ नहीं याद रखते लोग. आपने सब-कुछ कह दिया जो मन में उमड़ा-घुमड़ा करता था<br />नम हो गयीं आँखें.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-17976893621634255412011-01-03T16:07:10.974+05:302011-01-03T16:07:10.974+05:30आँखें नम हो गयी आपकी नज़्म पढ़ते पढ़ते ... यदि कोई...आँखें नम हो गयी आपकी नज़्म पढ़ते पढ़ते ... यदि कोई बेटा इन लाइनों को पढके अपनी माँ को पूछने लगे तो ये शब्द सार्थक हो जायेंगे ... बहुत ही संवेदन शील ... <br />आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-42747486795173515862011-01-03T15:13:08.807+05:302011-01-03T15:13:08.807+05:30आपकी इस रचना ने भावमय कर दिया ...बहुत ही सुन्दरता...आपकी इस रचना ने भावमय कर दिया ...बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त किया है आपने एक-एक शब्द को ..बधाई इस बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-86703805131438309532011-01-03T09:48:36.057+05:302011-01-03T09:48:36.057+05:30बस यह कविता वटवृक्ष की खातिर चाहिए ...बस यह कविता वटवृक्ष की खातिर चाहिए ...रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-21520728608622727712011-01-02T18:46:14.434+05:302011-01-02T18:46:14.434+05:30मेरी आँखें भी नम हो गयी। मार्मिक रचना। अपको सपरिव...मेरी आँखें भी नम हो गयी। मार्मिक रचना। अपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-937648666506185502011-01-02T14:51:12.726+05:302011-01-02T14:51:12.726+05:30नए साल की हार्दिक शुभकामनायेंनए साल की हार्दिक शुभकामनायेंKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-85248422572202947932011-01-02T12:38:48.492+05:302011-01-02T12:38:48.492+05:30aaj ke samay per kada prahhar karti hui ek bahut h...aaj ke samay per kada prahhar karti hui ek bahut hi bhawbhini kavita.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-48180029637390510422011-01-01T16:16:55.545+05:302011-01-01T16:16:55.545+05:30माई god , क्या लिख डाला! इस्मत ज़ैदी को अब तक ग़ज़...माई god , क्या लिख डाला! इस्मत ज़ैदी को अब तक ग़ज़ल या नात/सलाम की शायरी का ही माहिर समझा जाता रहा है लेकिन अब!!! इस नज़्म ने तो जाने कितनों को आईना दिखा दिया. उफ़, क्या लिखा और क्या खूब लिखा. किन किन गोशों को छुआ है, मेरे बस से बाहर की बात है. मैं सिर्फ एक जुमला कह सकता हूँ------- इस्मत ज़ैदी-जिंदाबाद.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-19473758266450474842011-01-01T14:48:22.743+05:302011-01-01T14:48:22.743+05:30bahut bahut khoobsurat rachna aesa laga mano mere ...bahut bahut khoobsurat rachna aesa laga mano mere khyaal ko apne labjo me piro diya ,sach is naye saal ko umda khyaal hi khoobsurat bana sakte hai .main bhi sahmat hoon aese nek irado se ,tumahari dua kabool kiya aur meri or se bhi dhero badhai .jaidi sahab mujhe to nahi jante magar unke vichar se main behad prabhavit hui rahi,aur insaniyat ke naate main unhe bhi wish karti hoon atraj na ho to unhe yah sandesh de dena .bachcho ko bhi ....ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-26517126844459488482010-12-31T23:31:16.107+05:302010-12-31T23:31:16.107+05:30आपकी यह पोस्ट आज के समय में चेतावनी है सब के लिए.
...आपकी यह पोस्ट आज के समय में चेतावनी है सब के लिए.<br /><br />शुक्रिया !<br />और हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए!!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-66675382417138087052010-12-31T22:21:18.083+05:302010-12-31T22:21:18.083+05:30जन्नत तो सब चाहते हैं
पर इल्लत इसे बताते हैं
एक ...जन्नत तो सब चाहते हैं<br />पर इल्लत इसे बताते हैं<br /><a href="javascript:void(0);" rel="nofollow">एक हिन्दी ब्लॉगर पसंद है </a>अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-9651249938770859402010-12-31T20:53:03.243+05:302010-12-31T20:53:03.243+05:30क्यों बेटा क्या भूल गए तुम बचपन में जब रोते थे
नर्...क्यों बेटा क्या भूल गए तुम बचपन में जब रोते थे<br />नर्म से उन के हाथ तुम्हारे अश्कों को चुन लेते थे<br />अपने आंसू पी कर उस ने तुम को दूध पिलाया है<br />तेरे होठों की मुस्कानें ही उस का सरमाया है<br />छोटी सी तकलीफ़ पे तेरी वो बेकल हो जाती थी<br />तुझ को क्या मालूम न जाने क्या क्या वो सह जाती थी...<br />भाव विभोर कर गई ये रचना...<br />सभी को नए साल की मुबारकबाद.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-24577174873470073362010-12-31T19:59:52.487+05:302010-12-31T19:59:52.487+05:30"माँ"
विषय पर हालांकि
बहुत पढ़ा / सुना ह..."माँ"<br />विषय पर हालांकि<br />बहुत पढ़ा / सुना है ...<br />लेकिन यहाँ पढ़ना अलग-सा लगा<br />कई तसवीरें आँखों के आगे आ गईं <br />आज इंसान पत्थर हो गया है<br />हर चीज़ मानो बाज़ार हो गई है ....<br /><br />रचना...<br />जाने.. <br />साथ बहा ले गई . . .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.com