tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post4957673160403080729..comments2023-07-06T18:51:05.270+05:30Comments on शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : जश्न ए आज़ादीइस्मत ज़ैदीhttp://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-32891574220227704962010-09-04T17:50:23.401+05:302010-09-04T17:50:23.401+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-32577566190019537982010-09-03T19:17:17.920+05:302010-09-03T19:17:17.920+05:30मां की दुआएं बाप का साया हो गर नसीब
हो ज़िंदगी बला...मां की दुआएं बाप का साया हो गर नसीब<br />हो ज़िंदगी बलाओं से ,रंज ओ मेहन से दूर<br /><br />बहुत खूबसूरत गज़ल.....Dr.Ajmal Khanhttps://www.blogger.com/profile/13002425821452146623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-60062067495135181842010-08-29T09:22:53.585+05:302010-08-29T09:22:53.585+05:30आदरणीया इस्मत ज़ैदी ’शेफ़ा’ जी
आदाब !
आपको पढ...<b><i>आदरणीया इस्मत ज़ैदी ’शेफ़ा’ जी </i></b> <br />आदाब ! <br />आपको पढ़ना ही पढ़ने का हासिल है ।<br />सच , प्रेरणाएं लेता रहता हूं आपसे …<br /> <br /><b>मेरा वजूद ऐसे बियाबां में खो गया<br />ग़ुरबत में जैसे कोई मुसाफ़िर वतन से दूर </b><br /><b>थीं शफ़क़तें जहान की अपनों के दरमियां<br />मैं ख़ाली हाथ रह गया आ कर वतन से दूर</b><br />आह ! क्या एहसास जगाते शे'र है ! <br /><br /><b>मां की दुआएं बाप का साया हो गर नसीब<br />हो ज़िंदगी बलाओं से ,रंज ओ मेहन से दूर<br /><br />मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत<br />लेकिन न जा सका कभी गंग ओ जमन से दूर</b> <br /><br />जी करता है एक एक शे'र पर आपकी ख़िदमत में सलाम और आपकी क़लम का एहतिराम करता जाऊं …<br />और हक़ीक़त यही है <b>मैं बड़ी अदब के साथ शे'र - शे'र ,लफ़्ज़ - लफ़्ज़ गुज़रते हुए बेइंतिहा अक़ीदत से आपके पांव छू रहा हूं !! </b><br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-83470485043370406432010-08-29T08:13:12.364+05:302010-08-29T08:13:12.364+05:30..बड़ी प्यारी गज़ल है। जीवन के सभी रंगों को समेटने.....बड़ी प्यारी गज़ल है। जीवन के सभी रंगों को समेटने की कोशिश.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-23495657513277701662010-08-26T19:55:56.905+05:302010-08-26T19:55:56.905+05:30इस्मत जी आप मेरे ब्लॉग पर तशरीफ़ ले आईं...शुक्रिया....इस्मत जी आप मेरे ब्लॉग पर तशरीफ़ ले आईं...शुक्रिया..आपकी ग़ज़लें पहली बार पढ़ रही हूँ ...अच्छी लगींअर्चना तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04130609634674211033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-62033096320377006032010-08-25T08:19:31.124+05:302010-08-25T08:19:31.124+05:30मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत
लेकिन न जा सका क...मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत<br />लेकिन न जा सका कभी गंग ओ जमन से दूर<br /><br />kya bat hai sahibgazalkbahanehttps://www.blogger.com/profile/13644251020362839761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-90452209273510819652010-08-23T11:15:03.017+05:302010-08-23T11:15:03.017+05:30पढ़ तो पहले ही ली थी ये बेमिसाल ग़ज़ल...सोचता रहा कि ...पढ़ तो पहले ही ली थी ये बेमिसाल ग़ज़ल...सोचता रहा कि मैं कब ऐसा लिख पाऊंगा। <br /><br />"थीं शफ़क़तें जहान की अपनों के दरमियां" गज़ब का मिस्रा है मैम। और इस शेर पर तो जितनी भी दाद दी जाये कम है "तू दोस्ती के वास्ते जां भी निसार कर / रहना मगर बख़ील से, वादा शिकन से दूर" ....कम ही कलम होती हैं ऐसी जो सच्चे अहसासों को बखूबी ढ़ाल दे शेरों में। आपको जितना जाना है अब तक, इतना तो दावे के साथ कह ही सकता हूं कि आपकी कलम ये कारनामा बड़े आराम के साथ करती है।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-69873378955107820212010-08-19T12:37:38.628+05:302010-08-19T12:37:38.628+05:30मेरा वजूद ऐसे बियाबां में खो गया
ग़ुरबत में जैसे क...मेरा वजूद ऐसे बियाबां में खो गया<br />ग़ुरबत में जैसे कोई मुसाफ़िर वतन से दूर<br /><br />बहुत गहरी बात कह दी है...<br /><br />मां की दुआएं बाप का साया हो गर नसीब<br />हो ज़िंदगी बलाओं से ,रंज ओ मेहन से दूर<br /><br />सारे शेर एक से बढ़कर एक.....इतनी बेहतरीन ग़ज़ल पढवाने का शुक्रियाrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-73209296996980564672010-08-18T19:50:12.879+05:302010-08-18T19:50:12.879+05:30मां की दुआएं बाप का साया हो गर नसीब
हो ज़िंदगी बला...मां की दुआएं बाप का साया हो गर नसीब<br />हो ज़िंदगी बलाओं से ,रंज ओ मेहन से दूर<br /><br /><br />waah waah <br /><br />मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत<br />लेकिन न जा सका कभी गंग ओ जमन से दूर<br /><br />kya baat kahi hai ......श्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-40677341658370805392010-08-18T12:27:42.888+05:302010-08-18T12:27:42.888+05:30मेरा वजूद ऐसे बियाबां में खो गया
ग़ुरबत में जैसे क...मेरा वजूद ऐसे बियाबां में खो गया<br />ग़ुरबत में जैसे कोई मुसाफ़िर वतन से दूर<br />थीं शफ़क़तें जहान की अपनों के दरमियां<br />मैं ख़ाली हाथ रह गया आ कर वतन से दूर<br /><br /> जश्न-ए-आज़ादी के पुरमुसर्रत मौके पर पोस्ट की गयी इस गजल के यूं तो सभी शेर काबिल-ए-सताइश हैं लेकिन ये दोनों तो हम दोनों के दर्द की अक्कासी करते हैं. आप भी वतन से दूर, मैं भी वतन से दूर.<br />आप उस्तादों की तरह लिखने में महारत हासिल कर चुकी हैं और इधर आलम यह है कि आपका कलाम देख कर एक-आध लीटर खून खुश्क हो जाता है. सोचता हूँ, क्या मैं भी कभी क्लासिकल अंदाज़ की सदाबहार गजलें कह सकूंगा.<br />"दरिया के पास...." तारीख़ को बहुत कामयाबी के साथ नज्म किया.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-74461553151052728612010-08-18T07:49:33.932+05:302010-08-18T07:49:33.932+05:30हर शेर पढ़ कर देर तक सोचता रह जाता हूँ ...हर बाल द...हर शेर पढ़ कर देर तक सोचता रह जाता हूँ ...हर बाल दिल को छू जाती हैं आपकी रचनाएं ! शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-89822269802422699432010-08-17T23:35:24.079+05:302010-08-17T23:35:24.079+05:30मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत
लेकिन न जा सका क...मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत<br />लेकिन न जा सका कभी गंग ओ जमन से दूर<br /><br />वतन की शान में ये लफ्ज़ .....?<br />इस बार ब्लॉग जगत में ये ज़श्ने आज़ादी पुरे जोशोशबाब में है ......<br />उधर शाहिद साहब और इधर आप ......<br />सुभानाल्लाह .....<br /><br />ये आज़ादी दिलों तक भी उतर आये ......दुआ है ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-65887937260214877482010-08-17T10:23:38.274+05:302010-08-17T10:23:38.274+05:30Ismat Ji,
Bahut hi umda, dil ko chhhuney wali gha...Ismat Ji,<br /><br />Bahut hi umda, dil ko chhhuney wali ghazal hai <br /><br />कोशिश ये थी शिकस्ता दिलों को संभाल ले<br />लेकिन ’शेफ़ा’ ही रह न सकी इस चुभन से दूर<br /><br />Surinder Ratti<br />MumbaiSURINDER RATTIhttps://www.blogger.com/profile/16463726937474940326noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-86438373556986030692010-08-16T05:59:30.375+05:302010-08-16T05:59:30.375+05:30बहुत खूबसूरत गजल.......स्वंत्रता दिवस की बधाइयां औ...बहुत खूबसूरत गजल.......स्वंत्रता दिवस की बधाइयां और शुभकामनाएं !रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-47662444571748532992010-08-16T03:16:58.524+05:302010-08-16T03:16:58.524+05:30तू दोस्ती के वास्ते जां भी निसार कर
रहना मगर बख़ील...तू दोस्ती के वास्ते जां भी निसार कर<br />रहना मगर बख़ील से, वादा शिकन से दूर <br /><br />दरिया के पास आ के भी प्यासा पलट गया<br />पानी नहीं था क़ब्ज़ ए तश्ना दहन से दूर<br /><br />कोशिश ये थी शिकस्ता दिलों को संभाल ले<br />लेकिन ’शेफ़ा’ ही रह न सकी इस चुभन से दूर<br />वाह बहुत खूब ,हार्दिक बधाई इस स्वन्त्रता दिवस की .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-43737423908099110282010-08-15T22:54:39.874+05:302010-08-15T22:54:39.874+05:30मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत
लेकिन न जा सका क...मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत<br />लेकिन न जा सका कभी गंग-ओ-जमन से दूर <br /><br /><br />bahut pyaaraa she'r...<br /><br />gangaa jamunaa kyaa....<br />apne se ye bekaar si delhi hi nahin chhodi jaati...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-46753804537168116772010-08-15T22:40:02.550+05:302010-08-15T22:40:02.550+05:30थीं शफ़क़तें जहान की अपनों के दरमियां
मैं ख़ाली हा...थीं शफ़क़तें जहान की अपनों के दरमियां<br />मैं ख़ाली हाथ रह गया आ कर वतन से दूर <br /> <br />सिर्फ और सिर्फ <br />दौलत की चकाचौध के पीछे भाग कर <br />अपने वतन को छोड़ जाने वालों के दिलों की कशमकश को बखूबी बयान करता हुआ ये शेर अपनी बात खुद कह रहा है ....<br />"शफक़तें जहान की" में क्या कुछ नहीं समेट दिया गया है,, वाह !<br /><br />मां की दुआएं बाप का साया हो गर नसीब<br />हो ज़िंदगी बलाओं से ,रंज ओ मेहन से दूर <br /><br />एक अटल सत्य ... निसंदेह <br /><br />मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत<br />लेकिन न जा सका कभी गंग-ओ-जमन से दूर <br /><br />वतन-परस्ती की इस से बेहतर मिसाल <br />और क्या होगी भला <br /><br />कोशिश ये थी शिकस्ता दिलों को संभाल ले<br />लेकिन ’शेफ़ा’ ही रह न सकी इस चुभन से दूर <br /><br />ये शेर बहुत अपना-अपना-सा लग रहा है <br />वजह ...<br />नहीं मालूम....<br />शायद !! <br />गज़लें...<br />कहने वालों में , <br />और गज़लें पसंद करने वालों में <br />एक रिश्ता होता ही है ....<br /><br />खैर... अच्छी ग़ज़ल...अच्छी टिप्पणियाँ ... मुबारकबाद <br />मन कहता है क कुछ ना कहूं ... <br />बस वोही कहूं ,,,<br />जो शारदा अरोरा जी ने कहा है ...<br />(अल्फाजों को छोड़ कर)daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-87037598857812542622010-08-15T22:32:13.775+05:302010-08-15T22:32:13.775+05:30स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.............स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.............सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-19603282991462652272010-08-15T18:47:51.705+05:302010-08-15T18:47:51.705+05:30मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत
लेकिन न जा सका क...मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत<br />लेकिन न जा सका कभी गंग ओ जमन से दूर<br /><br /><br />बहुत खूब क्या शेर पिरोए हैं आपने .... दिल चिर गये ... वतन से door हम बदनसीब ऐसे शेर पढ़ कर वतन के करीब आ जाते हैं .... लाजवाब ग़ज़ल की जितनी भी तारीफ़ की जाय कम है .... हर शेर वतन प्रेम के जज़्बे से भरा है ... <br /><br />आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-58517967084738780082010-08-15T14:59:00.076+05:302010-08-15T14:59:00.076+05:30मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत...
बहुत अच्छा श...मुझ को ज़रूरियात ने आवाज़ दी बहुत...<br /><br />बहुत अच्छा शेर था ये इस्मत दी...!!<br /><br />आज के दिन की मुबारक़ बाद आपको भी...!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-62467270205748766072010-08-15T13:33:03.680+05:302010-08-15T13:33:03.680+05:30वो जुबाँ कहाँ से लाऊँ जो कर पाए आपकी तारीफ़ ...आप ज...वो जुबाँ कहाँ से लाऊँ जो कर पाए आपकी तारीफ़ ...आप जैसे ही अल्फाजों में ...शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-40546050940965687052010-08-15T09:41:05.446+05:302010-08-15T09:41:05.446+05:30हर शेर बेहतरीन और मुकम्मल खयाल लिये हुए सटीक शब्...हर शेर बेहतरीन और मुकम्मल खयाल लिये हुए सटीक शब्दों से बुना गया और अपनी बात साफ़ साफ़ कहता हुआ। <br />स्वतंत्रता दिवस की सबको बहुत-बहुत बधाई।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-72109124093478893062010-08-15T07:01:12.383+05:302010-08-15T07:01:12.383+05:30दरिया के पास आ के भी प्यासा पलट गया
पानी नहीं था क...दरिया के पास आ के भी प्यासा पलट गया<br />पानी नहीं था क़ब्ज़ ए तश्ना दहन से दूर<br />बहुत खूबसूरत गजलM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-91846940596261712302010-08-15T05:42:10.723+05:302010-08-15T05:42:10.723+05:30बहुत बेहतरीन!
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आ...बहुत बेहतरीन!<br /><br />स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.<br /><br />सादर<br /><br />समीर लालUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-77413675939785222682010-08-15T02:04:10.990+05:302010-08-15T02:04:10.990+05:30किस शेर का हवाला दिया जाय.यहाँ तो सब एक से एक हैं ...किस शेर का हवाला दिया जाय.यहाँ तो सब एक से एक हैं यानी बीस!!आप मुसल्लम शायर हैं.<br /><br />बहुत खूब !<br /><br />अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व <br />..मुबारक हो!<br /><br />समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:<br /><br />आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.htmlشہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.com