tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post1629460209438307925..comments2023-07-06T18:51:05.270+05:30Comments on शिफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی : इस्मत ज़ैदीhttp://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-10223008787220362602011-01-13T16:16:49.383+05:302011-01-13T16:16:49.383+05:30अच्छी ग़ज़ल कही है. बधाई.अच्छी ग़ज़ल कही है. बधाई.devendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-90281680032469789172010-09-04T17:07:30.995+05:302010-09-04T17:07:30.995+05:30इस गजल के सारे शेर एक से एक अच्छे हैं। ये वाला शेर...इस गजल के सारे शेर एक से एक अच्छे हैं। ये वाला शेर तो आशीष ने अपने जीमेल स्टेटस पर लगा रखा है:<br /><b>हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो<br />अगर ठोकर लगा दें हम, तो चश्मे फूट जाते हैं</b><br />बधाई!अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-26350104538740744792010-08-15T11:27:17.717+05:302010-08-15T11:27:17.717+05:30नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में
कि संग ओ ख़...नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में<br />कि संग ओ ख़िश्त रह जाते हैं ,अपने छूट जाते हैं<br /><br /><br />बहुत सलीके से दी गयी सीख....<br />आप जैसे बड़ों का कहा सर माथे पर..<br /><br /><br />हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो<br />अगर ठोकर लगा दें हम, तो चश्मे फूट जाते हैं<br /><br /><br />इसे पढ़कर गौतम की याद आ गयी...<br /><br />ऊपर नयी ग़ज़ल के नीचे कमेंट्स डिलीट होने की बात पढ़ी तो दोबारा यह पोस्ट खोली..<br />देखा तो हमारा भी कमेन्ट नदारद था...<br /><br />:)manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-83890338557702296142010-08-14T17:21:53.407+05:302010-08-14T17:21:53.407+05:30न डालो बोझ ज़हनों पर कि बचपन टूट जाते हैं
सिरे नाज...न डालो बोझ ज़हनों पर कि बचपन टूट जाते हैं<br />सिरे नाज़ुक हैं बंधन के जो अक्सर छूट जाते हैं<br />bahut hi khoobsurat....<br /><br />Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....<br /><br />A Silent Silence : <a href="http://asilentsilence.blogspot.com/2010/08/ye-kya-takdir-hai.html" rel="nofollow" title="A Silent Silence - Where Silence Says Something Beyond The Words">Ye Kya Takdir Hai...</a><br /><br />Banned Area News : <a href="http://bannedarea.blogspot.com/2010/08/kareena-kapoor-and-karan-johar-at-mr.html" rel="nofollow" title="Banned Area - Break the Rules , Bollywood Gossips','Bollywood News','Health News','Hollywood News','India News','Technology News','Television News','World News','Sports News">Kareena Kapoor And Karan Johar At Mr. Nari Hira's Bash</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-69405885456476775762010-07-18T07:07:27.401+05:302010-07-18T07:07:27.401+05:30बहुत सुंदर ..वाह !
हर शेर दिल में समा गया..
कम दि...बहुत सुंदर ..वाह ! <br />हर शेर दिल में समा गया..<br />कम दिखती है इतनी प्यारी गज़ल।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-81208848292540549932010-07-18T01:34:23.458+05:302010-07-18T01:34:23.458+05:30हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो
अगर ठोकर लग...हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो<br />अगर ठोकर लगा दें हम, तो चश्मे फूट जाते हैं<br />सुबहान अल्लाह.....<br />ये एक ऐसी तारीख़ी हक़ीक़त बयान की गई है, <br />जिसका कोई सानी नहीं है.<br />न रख रिश्तों की बुनियादों में कोई झूट का पत्थर<br />लहर जब तेज़ आती है ,घरौंदे टूट जाते हैं.<br />सच कहा आपने...<br />अपना एक शेर याद आ रहा है...<br />शक को कभी ये सोच के दिल में जगह न दी<br />बुनियाद तो यक़ीन है रिश्ता कोई भी हो.<br />ग़ज़ल का हर शेर लाजवाब है...मुबारकबादशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-57967162969627877082010-07-17T18:26:04.709+05:302010-07-17T18:26:04.709+05:30बेह्तरीन गज़ल,शानदार अशआर, वाह वाह...बेह्तरीन गज़ल,शानदार अशआर, वाह वाह...Dr.Ajmal Khanhttps://www.blogger.com/profile/13002425821452146623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-3865141516209795952010-07-17T12:24:11.016+05:302010-07-17T12:24:11.016+05:30नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में
कि संग ओ ख़...नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में<br />कि संग ओ ख़िश्त रह जाते हैं ,अपने छूट जाते हैं<br /><br />माशाल्लाह ......क्या गज़ब लिखती हैं .....बहुत khoob ....!!<br /><br /><br />न रख रिश्तों की बुनियादों में कोई झूट का पत्थर<br />लहर जब तेज़ आती है ,घरौंदे टूट जाते हैं <br /><br />'छूट का पत्थर' का खूब इस्तेमाल किया आपने ......<br /><br />आपका हुनर gazal pe निखर आना है .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-43562427643126149762010-07-17T00:08:37.101+05:302010-07-17T00:08:37.101+05:30मोहतरमा ग़ज़ल क्या होती यह तो आपके ब्लॉग पर आकर पत...मोहतरमा ग़ज़ल क्या होती यह तो आपके ब्लॉग पर आकर पता चलता है....जादू है आपकी कलम में और कलाम में भी...<br />हमेशा की तरह इस ग़ज़ल को बार पढ़ा तब कहीं जाके करार आया ...एक एक शेर नगीने सा चमक रहा है......<br /><br />नहीं दहशत गरों का कोई मज़हब या कोई ईमां<br />ये वो शैतां हैं, जो मासूम ख़ुशियां लूट जाते हैं<br />बिलकुकल दुरुस्त फ़रमाया.....आपने <br /><br />हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो<br />अगर ठोकर लगा दें हम, तो चश्मे फूट जाते हैं<br />ओहो.....क्या बात कह दी इन दो मिसरों में<br /><br />नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में<br />कि संग ओ ख़िश्त रह जाते हैं ,अपने छूट जाते हैं<br />न रख रिश्तों की बुनियादों में कोई झूट का पत्थर<br />लहर जब तेज़ आती है ,घरौंदे टूट जाते हैं <br /> यह दोनों शेर लाजवाब हैं.......<br />(मैंने भी इसी तरह की एक ग़ज़ल लिखी थी ......किनारे टूट जाते हैं !)<br /><br /><br />’शेफ़ा’ आंखें हैं मेरी नम, ये लम्हा बार है मुझ पर<br />बहुत तकलीफ़ होती है जो मसकन छूट जाते हैं<br />बहुत ही शानदार मक्ता है.....! जिंदाबाद...!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-79446912416698611212010-07-16T23:48:07.288+05:302010-07-16T23:48:07.288+05:30अरे!!!! इस्मत साहिबा, ये कमाल कैसे हो गया?
आपकी गज...अरे!!!! इस्मत साहिबा, ये कमाल कैसे हो गया?<br />आपकी गज़ल के दर्शन तो महीने भर इन्तज़ार के बाद होते हैं, ये तीन दिन पहले कैसे आ गई??? <br />अब आ गई तो हमारा तो फ़ायदा ही है न-<br /><br />हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो<br />अगर ठोकर लगा दें हम, तो चश्मे फूट जाते हैं<br /><br />नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में<br />कि संग ओ ख़िश्त रह जाते हैं ,अपने छूट जाते हैं<br /><br />न रख रिश्तों की बुनियादों में कोई झूट का पत्थर<br />लहर जब तेज़ आती है ,घरौंदे टूट जाते हैं <br /> <br />चंद शेर यहां जताने का मतलब ये नहीं कि बाकी अश’आर इनसे कमतर हैं... हर शेर बेहद खूबसूरत. <br />उम्मीद है, कि अगली बार तीन दिन और घट जायेंगे...वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-83050693747783522962010-07-16T23:15:23.000+05:302010-07-16T23:15:23.000+05:30ग़ज़ल की रंगत
ग़ज़ल का लहजा
ग़ज़ल कहने की खूबसूर...ग़ज़ल की रंगत <br />ग़ज़ल का लहजा <br />ग़ज़ल कहने की खूबसूरती <br />इन सब का असरदार इम्तेज़ाज नुमायाँ हो उठा है <br />आपकी इस ग़ज़ल में <br />ख़ास तौर पर ....<br />"हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो<br /> अगर ठोकर लगा दें हम, तो चश्मे फूट जाते हैं"<br />ये शेर .... <br />शाइर के azm को लोगों तक पहुंचा पाने में कामयाब हो पडा है <br />और ...<br />"लहर जब तेज़ आती है ,घरौंदे टूट जाते हैं..." <br />ये अकेला मिसरा ही अपनी बात खुद कह रहा है <br /><br />ग़ज़ल मौसूफ़ में काफियों की तंगी / सख्ती भी <br />आपकी जानिब से की गयी मेहनत पर हावी नहीं हो पायी है . . . . <br /><br />मुबारकबादdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-88063787735214604842010-07-16T11:58:42.141+05:302010-07-16T11:58:42.141+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-71169275683438421182010-07-16T11:46:09.227+05:302010-07-16T11:46:09.227+05:30"नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में कि सं..."नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में कि संग ओ ख़िश्त रह जाते हैं ,अपने छूट जाते हैं"<br /><br />काश कि यह सब समझ जाएँ ! बेहद उम्दा नज़्म !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-438035260193226022010-07-16T10:34:45.018+05:302010-07-16T10:34:45.018+05:30हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो
अगर ठोकर लग...हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो<br />अगर ठोकर लगा दें हम, तो चश्मे फूट जाते हैं<br /><br />नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में<br />कि संग ओ ख़िश्त रह जाते हैं ,अपने छूट जाते हैं<br /><br />एक शेर में खुद्दारी और दूसर में नसीहत किस ख़ूबसूरती से पिरोई है आपने के दिल वाह वाह कर उठा है...सिर्फ ये दो शेर ही नहीं हर शेर इस ग़ज़ल का कमाल का है...इस बेजोड़ ग़ज़ल की तारीफ़ के लिए अलफ़ाज़ कहाँ से लाऊं...वाह...मेरी ढेर सारी दाद कबूल करें...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-70410750637849057912010-07-16T09:11:21.805+05:302010-07-16T09:11:21.805+05:30नहीं दहशत गरों का कोई मज़हब या कोई ईमां
ये वो शैता...नहीं दहशत गरों का कोई मज़हब या कोई ईमां<br />ये वो शैतां हैं, जो मासूम ख़ुशियां लूट जाते हैं<br /><br /><br />नहीं दीवार तुम कोई उठाना अपने आंगन में<br />कि संग ओ ख़िश्त रह जाते हैं ,अपने छूट जाते हैं<br /><br /><br />’शेफ़ा’ आंखें हैं मेरी नम, ये लम्हा बार है मुझ पर<br />बहुत तकलीफ़ होती है जो मसकन छूट जाते हैं<br /><br />निशब्द हूँ खास कर न दीवार उठाना---- वाले शेर पर । दिल को छू गयी गज़ल बहुत बहुत शुभकामनायें,अभार।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-2941849064563283632010-07-16T05:50:38.328+05:302010-07-16T05:50:38.328+05:30" ’शेफ़ा’ आंखें हैं मेरी नम, ये लम्हा बार है ..." ’शेफ़ा’ आंखें हैं मेरी नम, ये लम्हा बार है मुझ परबहुत तकलीफ़ होती है जो मसकन छूट जाते हैं "<br /><br />गुनगुनाने का दिल करता है ! <br />गज़ब ,बेहतरीन दिल को छू जाने वाली रचना , मुबारक बाद कबूल करें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-49112382106843895592010-07-16T02:20:39.462+05:302010-07-16T02:20:39.462+05:30ACHCHI GAZAL ...ACHCHI GAZAL ...सहसपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/09067316996435869621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8138012995366804313.post-70486372784184826522010-07-16T01:59:50.504+05:302010-07-16T01:59:50.504+05:30’शेफ़ा’ आंखें हैं मेरी नम, ये लम्हा बार है मुझ पर
...’शेफ़ा’ आंखें हैं मेरी नम, ये लम्हा बार है मुझ पर<br />बहुत तकलीफ़ होती है जो मसकन छूट जाते हैं<br /><br /><br />बहुत शानदार..वाह!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com